महापंडित गागाभट्ट के वंशज थे पं. लक्ष्मीकांत, श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में भी प्रमुख आचार्य की निभाई थी भूमिका

वह रामघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय में वरिष्ठ आचार्य थे।

उनकी अंतिम यात्रा आवास से जब सुबह 11 बजे चली तो सैकड़ों की संख्या में विद्वत जन, उनके शिष्य, अनेक राजनीतिक दलों के नेता, क्षेत्रीय नागरिक, विधायक डा. नीलकंठ तिवारी, मंडलायुक्त कमिश्नर कौशल राज शर्मा, पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, पं. विश्वेश्वर शास्त्री, प्रो. पतंजलि मिश्र, संतोष सोलापुरकर, नलिन नयन मिश्र, पार्षद कनकलता मिश्र के साथ मराठा समाज के लोग प्रमुख रूप से सम्मिलित हुए। इसे भी पढ़ें- जिस महिला को मृत समझ पुलिस कर रही थी जांच वह मिली जिंदा, पति ने कर दिया था अंतिम संस्‍कार देश में अनेक श्रौतयागों तथा स्मार्तयागों का किया था निर्देशन आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने देश में अनेक श्रौतयागों तथा स्मार्तयागों का निर्देशन किया था।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में श्रौतयज्ञशाला का निर्माण कराय तथा 1998 में नेपाल में विशिष्ट श्रौतयाग (सोमयाग) का अनुष्ठान कराया था। रक्षासूत्र बंधवाकर प्रधानमंत्री ने किया था चरण-स्पर्श अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूर्ण होने पर जब पं. लक्ष्मीकांत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रक्षासूत्र बांधा तो उन्होंने पूरे भक्ति भाव से पं. दीक्षित का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया था। इसे भी पढ़ें-महिला सिपाही के साथ होटल में रंगे हाथ पकड़े गए सीओ, सजा के तौर पर बनाया गया सिपाही रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए किया गया चयन पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित की विद्वत्ता, याज्ञिगता और कर्मकांड की अत्यंत सूक्ष्म जानकारी को देखते हुए अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर नवनिर्मित भव्य मंदिर में उन्हें प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दायित्व सौंपा गया था।

इसके पूर्व श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में भी उन्होंने प्रमुख आचार्य की भूमिका निभाई थी। मिले थे अनेक सम्मान व पुरस्कार l पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित को उनकी विद्वत्ता व वेदों के प्रचार-प्रसार के चलते अनेक पुरस्कार व सम्मान प्रदान किए गए थे। l चारों पीठों के शंकराचार्य द्वारा विशेष सम्मान। l सन् 2012 में द्वारका ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्ती द्वारा वैदिक रत्न पुरस्कार l सन् 2014 में वेदसम्राट पुरस्कार l सन् 2015 में वैदिक भूषण अलंकरण l श्रृंगेरी के शंकराचार्य संस्थान द्वारा वेदमूर्ति पुरस्कार l वेदसम्मान घनपाठी पुरस्कार प्राप्त l साङ्ग वेद विद्यालय द्वारा सम्मानपत्र एवं वेदमूर्ति पुरस्कार l सन् 2016 में लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित l सन् 2019 में संपूर्णानंद संस्कृत विवि द्वारा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सम्मान। l श्रृंगेरी पीठ द्वारा सन् 2010 में विशेष सम्मान l वर्ष 2022 में लोस अध्यक्ष द्वारा भारतात्मा पुरस्कार। अनेक संगठनों, संस्थाओं, विद्वानों ने जताया शोक वेदमूर्ति पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन से संपूर्ण विद्वत समाज मर्माहत है।

अनेक संस्थाओं, संगठनों व विद्वानों ने उन्हें संस्कृत व संस्कृति का अप्रतिम साधक बताते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

शनिवार को दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित शोक सभा में विप्र समाज के संयोजक डा. पवन कुमार शुक्ल ने कहा कि जब भी किसी विशेष मुहूर्त अथवा पर्व विशेष की तिथियों में विषमता उत्पन्न होती थी तो काशी के विद्वतजन वैदिकगण पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित से ही समाधान कराते थे और उनके बताए निर्णय पर सभी सहमत हो जाते थे। सभा की अध्यक्षता डा. सारनाथ पांडेय ने की।

डा. गणेश दत्त शास्त्री, आचार्य विशाल ओंढेंकर, षडानन पाठक, विकास दीक्षित, अशोक कुमार आदि ने भी पुण्यात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

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