भूस्खलन से मानव जीवन को सुरक्षित करने को IIT BHU में बनी ‘ढाल’, रोके जा सकेंगे उत्तरकाशी जैसे हादसे

विभाग के प्रो. संजय कुमार शर्मा के निर्देशन में शोध छात्र कदम मिश्र ने इसे कनाडा में निर्मित टाइम डोमेन रेफ्लेमेटरी सेंस (टीडीआरएस) का उपयोग कर बनाया है।

अभी यह विश्व का इकलौता सेंसर है जो धरातलीय व्यवहार, अंदर हो रही हलचल, एंगल व उसकी दृढ़ता की सटीक जानकारी प्रत्येक पांच मिनट में देता है। इसके माध्यम से प्राप्त ग्राफ से बताया जा सकेगा कि किस स्थान पर खदान या सुरंग कब और किस समय बैठ सकती है, कच्चे पहाड़ों वाले हिमालयी क्षेत्र में कब और कहां भूस्खलन हो सकता है अथवा किसी स्थान पर खोदा गया बोरवेल भविष्य में कब धंस सकता है। IIT BHU के शोध छात्र कदम कुमार मिश्रा और खनन विभाग के प्रो. संजय कुमार शर्मा।

मशीन लर्निंग तकनीक से डेटा विश्लेषण कर करता है भविष्यवाणी ढाल एंड्रायड एप्लिकेशन है और मशीन लर्निंग तकनीक की मदद से ग्राउंड डिफार्मेशन (भूगर्भीय विकृति) की निगरानी व भविष्यवाणी करता है।

यह एप्लिकेशन ग्राउंड डिफार्मेशन और भूगर्भीय अस्थिरता की निगरानी करने वाले उपकरण टीडीआर (टाइम डोमेन रिफ्लेमेक्टरी) सेंसर से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करता है। दोनों का कॉम्बो मिलकर एक संपूर्ण निगरानी प्रणाली बनाते हैं, जहां सेंसर डेटा एकत्र करते हैं और एप उस डेटा का विश्लेषण और प्रस्तुतिकरण करता है।

टीडीआर सेंसर इंपीडेंस वैरिएशन (जमीन के भीतर होने वाले परिवर्तनों) को मापने के लिए विद्युत संकेतों का उपयोग करते हैं। कैसे कार्य करता है ढाल का कंबो सेट टीडीआर में बोरहोल के अंदर कोएक्सियल केबल्स का उपयोग कर समय-समय पर भूमि के भीतर इंपीडेंस (अवरोध) भिन्नताओं को मापा जाता है, जिससे भूमि के व्यवहार पर रियल टाइम डेटा मिलता है।

यह डेटा एक डाटालागर में संग्रहीत किया जाता है और जीएसएम माड्यूल के माध्यम से दूरस्थ स्थानों से भारत में कहीं भी स्थापित स्थानीय सर्वर तक प्रेषित किया जा सकता है। निरंतर आनलाइन मानिटरिंग के माध्यम से हर पांच मिनट में विकृति और गहराई की चरम स्थिति का पता लगाया जा सकता है, जिससे भीतर चल रही किसी असामान्यता का पता जल्द चल जाता है। उत्तरकाशी जैसी दुर्घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण 12 नवंबर 2023 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में नेशनल हाईवे 134 को जोड़ने के लिए बन रहे सिल्क्यारा बेंड–बड़कोट सुरंग का एक हिस्सा निर्माण के दौरान धंस गया।

यह घटना भारतीय मानक समय के अनुसार लगभग 05:30 पर हुई और 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए। यह दुर्घटना इस बात को रेखांकित करती है कि ऐसी चुनौतीपूर्ण निर्माण परियोजनाओं में सुरक्षा बढ़ाने के लिए उन्नत मानिटरिंग और भविष्यवाणी तकनीकों की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ऐसी व्यापक मानिटरिंग और भविष्यवाणी प्रणाली न केवल सुरंग निर्माण में सुरक्षा प्रोटोकाल को बेहतर बनाएगी, बल्कि सुरक्षा आडिट, जोखिम प्रबंधन और हिमालय क्षेत्र की भूवैज्ञानिक चुनौतियों की समझ में भी मदद करेगी। एनसीएल ने अपनी सभी खदानों में लगाने को दी स्वीकृति ढाल का पिछले साल दिसंबर में नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) के सिंगरौली स्थित कोयला खदान में सफल परीक्षण किया जा चुका है।

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