BHU के वनस्पति वैज्ञानियों ने दिखाई नई राह, फंगस से फसल की पैदावार 70 प्रतिशत तक बढ़ाने में मिलेगी मदद

किसानों को भुगतना पड़ रहा नमक प्रभावित भूमि का खामियाजा उत्तर प्रदेश में ही 13.70 लाख हेक्टेयर जबकि गुजरात में 22.30 लाख हेक्टेयर भूमि नमक से प्रभावित है।

जाहिर है इसका खामियाजा वहां के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बीएचयू के वैज्ञानिकों ने दिखाई नई राह पूर्वांचल में भी जौनपुर, आजमगढ़ और प्रतापगढ़ समेत दर्जनों जिलों में नमक से प्रभावित खेत किसानों की चिंता का सबसे बड़ा कारण बन गए हैं।

पर्याप्त खाद-पानी और अच्छे बीजों के इस्तेमाल के बाद भी खेती का लागत निकलना मुश्किल हो गया है।

ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानियों ने नई राह दिखाई है। 70 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकेगी फसलों की पैदावार वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. आरएन खरवार के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि बीज के साथ एस्परगिलस मेडियस और क्लैडोस्पोरियम पैराहेलोटोलरेंट नामक फंगस (कवक) का इस्तेमाल किया जाए तो नमक प्रभावित खेत भी उर्वराशील हो जाएंगे और 70 प्रतिशत से पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। गेहूं के बीच पर प्राथमिक अध्ययन हुआ पूरा प्रो. खरवार ने बताया कि दोनों कवक नमक सहिष्णु गेहूं से निकाले गए हैं।

वैसे यह बीज, मिट्टी, पौध और नमक प्रभावित मिट्टी में भी पाए जाते हैं।

विभाग की प्रयोगशाला में गेहूं के बीज पर प्राथमिक अध्ययन पूरा हो चुका है।

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