काशी में साढ़े तीन सौ साल पुरानी परंपरा बदली! शोभायात्रा रोकने लिए पुलिस ने भेजा पत्र, कांग्रेस ने उठाए सवाल

मुकदमे के चलते शोभायात्रा पर रोक मंदिर प्रशासन का कहना है डॉ. कुलपति के निधन के बाद उनके पुत्र वाचस्पति तिवारी व भाई लोकपति तिवारी एक बार फिर मूल प्रतिमा अपने कब्जे में होने व परंपरा के असली दावेदार होने का दावा किया है।  इससे संबंधित मुकदमा भी न्यायालय में विचाराधीन है।

ऐसे में मंदिर प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कोई शोभायात्रा बाहर से व मंदिर प्रबंधन से इतर प्रतिमा से नहीं आएगी।

मंदिर न्यास के पास स्वयं की मूर्ति, पालकी आदि की समस्त व्यवस्था व संसाधन हैं, जिनसे प्रचलित परंपरा का पूर्ण निर्वहन मंदिर प्रांगण के भीतर ही किया जाएगा।  ट्रस्ट अध्यक्ष व विद्वतजन की उपस्थिति में पूजनोपरांत शोभायात्रा मंदिर प्रांगण के अंदर गर्भगृह तक निकाली जाएगी।

शोभायात्रा के नाम पर किसी बाहरी पक्ष द्वारा अपनी मूर्ति से कोई समानांतर व्यवस्था का प्रयास मंदिर न्यास द्वारा निर्धारित व्यवस्था के विरुद्ध होगा।

मंदिर न्यास का बाहरी मूर्तियों या किसी के घर व परिवार द्वारा की जा रही उनकी पूजा से कोई सरोकार नहीं है। चाचा का मुकदमा मंदिर से है परंपरा से नहीं: वाचस्पति  पूर्व महंत स्व. डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि परंपरा निर्वहन की उनकी तैयारी पूरी है।

उनके चाचा लोकपति मिश्र हर बार आपत्ति पत्र देते रहे हैं, लेकिन परंपरा उनके पूर्वजों से होती हुई पिता द्वारा निभाई जाती रही है।  वाचस्पति ने कहा, चाचा का मुकदमा परंपरा से नहीं, मंदिर प्रशासन से है।

वह आरोप लगाते रहे हैं कि मंदिर प्रशासन डॉ. कुलपति से मिलकर उनके पक्ष में परंपरा का निर्वहन कराता है।  जिला प्रशासन की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए वाचस्पति तिवारी ने कहा कि जिस मुकदमे को आधार बनाकर जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई की है, वह मुकदमा कई वर्ष पुराना है।

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