Udaipur: `मेरा स्त्री होना ही क्या अपराधी...`, बच्ची के दुष्कर्मी को सजा सुनाते-सुनाते भावुक हुए जज; पढ़ी ये कविता
इठलाती, नाचती परी थी,पापा, मम्मी की लाडली,नाजों से पली थी, परमैं तो भूल गई कि मैं एक लड़की थी, क्रूर वासना की शिकार बनी,मेरी आत्मा चित्कार रही थी,क्या मैं भी इंसान नहीं थी,अपराध बोध हुआ जब मेरे टुकड़े