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छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने रची थी झारखंड शराब घोटाले की साजिश, ऐसे बना था स्कैम का प्लान; रडार पर ये बड़े अधिकारी
- न्यूज़
- Saturday | 28th September, 2024
क्या है झारखंड शराब घोटाला बता दें कि झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने दिसंबर 2022 में नई शराब नीति लागू की थी।
इससे पहले भाजपा की रघुवर दास की सरकार ने सरकारी स्तर पर शराब बेचने की व्यवस्था लागू की थी। नई शराब नीति बनने के कुछ महीने पहले से ही (मई 2022 से) ही झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल पर ही शराब की बिक्री हो रही थी। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया था।
छत्तीसगढ़ में कार्यरत प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने का काम मिला था।
छत्तीसगढ़ में भी यही कंपनी काम कर रही थी। इसी तरह मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को मैन पावर सप्लाई की जिम्मेदारी मिली थी।
तीनों ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपित भी हैं। सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने के लिए बदली गईं निविदा की शर्तें एफआइआर में कहा गया है कि विनय चौबे व गजेंद्र सिंह ने सिंडिकेट को लाभ दिखाने के लिए मदिरा सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली, जबकि झारखंड में पूर्व में ठेकेदारी प्रथा से शराब की बिक्री होने के कारण वहां उस समय उपरोक्त शर्त को पूर्ण करने वाली कोई भी फर्म नहीं थी। इसके अलावा कर्मचारियों की क्षमता, बैंक गारंटी, ईपीएफ डिपाजिट से लेकर जान-बूझकर कई ऐसी शर्तें लगाई गई थीं जो छत्तीसगढ़ में कार्य कर रही एजेंसियों की कार्यक्षमता के अनुरूप थी।
नतीजतन सिंडिकेट से जुड़ी छत्तीसगढ़ की कंपनियों को ही झारखंड में काम मिला। ।
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