Yodda App : अपनों से दूर रह रहे बुजुर्गों के लिए तकनीक बनी `परिवार`, सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने इस वजह से रखी नींव

कोरोना के बाद स्टार्टअप के तहत शुरू हुए योडा मोबाइल एप से करीब 15 हजार लोग जुड़े हैं।

इस एप में एक बटन है, जिसे तीन तरीके से प्रयोग किया जा सकता है। इसमें किसी भी प्रकार का खतरा होने या मेडिकल इमरजेंसी होने के साथ स्वास्थ्य संबंधी रुटीन और सामान्य जांच के साथ क्रोनिक डिजीज से संबंधित जांच, दवा और इलाज की व्यवस्था की जाती है। घर पर दवा उपलब्ध कराने से लेकर एंबुलेंस की व्यवस्था, अस्पताल ले जाने से लेकर घर में आईसीयू की व्यवस्था भी इस एप के जरिये की जा रही है। अक्टूबर 2020 में स्टार्टअप के तहत सॉफ्टवेयर इंजीनियर तरुण शर्मा ने योडा एल्डर केयर नाम से एप शुरू किया।

इसमें ऑफिस स्टाफ के अलावा लोगों को चिकित्सकीय सुविधाओं सहित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए सेवानिवृत्त सैनिकों को जोड़ा गया। सेना में अनुशासन, सेवाभाव, जिम्मेदारी और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ समाज के प्रति अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए पूरी तरह तैयार होने के कारण पूर्व सैनिकों को इस कार्य से जोड़ा गया है। इससे जहां लोगों को त्वरित मदद मिलने की राह आसान हुई, वहीं पूर्व सैनिकों को भी सम्मान का कार्य मिला।

तरुण शर्मा बताते हैं कि इस एप को तैयार करते समय इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि बुजुर्गों की जरूरतें किस तरह की होती हैं और उन्हें कैसे कम से कम समय में पूरा किया जा सकता है। घर का बिल जमा करने से लेकर खाने-पीने की चीजों की व्यवस्था और उनके घूमने-फिरने के साथ शहर के बाहर आने-जाने और रुकने की भी पूरी व्यवस्था हो जाती है। ऐसे करता है काम इसमें पहले बुजुर्ग के बारे में पूरी जानकारी लेने के साथ उनके स्वजन और आसपास के रिश्तेदारों की डिटेल अपलोड की जाती है।

सर्विस मैनेजमेंट सिस्टम के तहत काम करने वाले इस एप में मोबाइल पर एक बटन होता है। इसे एक बार दबाने पर सामान्य चीजों की जरूरत को पूरा किया जाता है।

अगर इस बटन को तीन सेकेंड तक लगातार दबाकर रखा जाता है, तो एप से जुड़े संबंधित व्यक्ति के स्वजन के साथ कंट्रोल रूम में अलर्ट जाता है और तत्काल विशेषज्ञ व सेवानिवृत्त सैनिक उनसे संपर्क करते हैं। फोन पर संपर्क न होने पर लोकेशन के सबसे नजदीक वाले पूर्व सैनिक को अलर्ट भेजा जाता है, जिससे जल्द से जल्द संबंधित को मदद पहुंचाने के लिए पूर्व सैनिक वहां पहुंच जाता है। आपात स्थिति होने पर बीमारी से संबंधित नजदीक के अस्पताल का विवरण उपलब्ध हो जाता है।

एक तरफ एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है। दूसरी तरफ टीम का एक सदस्य तत्काल अस्पताल पहुंच जाता है और आपात स्थिति की जानकारी बताकर व्यक्ति के अस्पताल पहुंचने से पहले ही इलाज की व्यवस्था को लाइनअप कर लिया जाता है। पिता को खोने के बाद समझ आई जरूरत तरुण शर्मा बताते हैं कि वह 15 वर्ष बोस्टन में रहे।

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