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`मैं चिल्लाया-दौड़ा, मगर गुलदार बेटे को जबड़े में जकड़ जंगल ले गया`, एक पिता के सामने कैसे काल के गाल में समाया मासूम? दर्दनाक आपबीती
- न्यूज़
- Friday | 28th June, 2024
मजदूरी मिलने पर शहर में अलग-अलग जगहों पर काम कर किसी तरह परिवार का पेट पल रहा था।
निर्मला स्कूल के सामने सड़क पार रेलवे की पटरी है, जिसकी ओट में थोड़ी सी समतल जमीन पर बनी झोपड़ी ही एकमात्र आशियाना है।
दो बेटियों और एक बेटे में शिवा दूसरे नंबर की संतान थी, मगर सात साल उम्र होने के बाद भी बेटे के स्कूल में दाखिले का सपना अधूरा ही था।
आधार कार्ड या कोई अन्य दस्तावेज न होने से दिक्कत आ रही थी।
वहीं, मोर्चरी में बदहवास स्थिति में खड़े प्रीतम ने बताया कि जानवर या कुत्तों के डर से वह बेटे को खुद बाहर लेकर आया था, लेकिन पहले से घात लगाए बैठे गुलदार ने पल भर में हमला कर दिया।
इसके बाद शिवा की गर्दन जकड़कर ओझल हो गया।
दूसरी तरफ मासूम को बचाने के लिए गुलदार के पीछे दौड़ लगाने के दौरान नीचे गिरने से प्रीतम के पैर में चोट लग गई।
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