Uttarakhand: मां के आंचल व पिता के सीने से लिपट सिस्टम के दर्द को सह रहा मासूम, पढ़ें खौफ के साये में जी रहे परिवार की कहानी

सुबह पिता सूरज और मां ममता नदी किनारे पहुंच जाते हैं।

उसके बाद सूरज पहले अकेले ही ट्राली में बैठकर नदी का उफान पार करते हैं, ताकि ममता और हर्ष के ट्राली में बैठने के बाद वो दूसरे छोर की रस्सियां खींचकर उन्हें नदी पार करवा सके।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand Weather Update: दून में चटख धूप खिलने से पारा चढ़ा, 25 सितंबर से फि‍र बदलेगा मौसम वापसी में पिता अपने बच्चे को पकड़कर खतरे के सफर पर आगे बढ़ते हैं, जबकि मां दूसरे किनारे से रस्सी को पकड़कर जोर लगाती है।

दावों और वादों की डींगें हांकने वाले नेताओं और अधिकारियों को मासूम के स्कूल जाने और लौटने के दौरान नदी के किनारे खड़े होकर उसके चेहरे के भाव देखने चाहिए।

इससे उन्हें दानीजाला के लोगों की परेशानी और दर्द महसूस होने लगेगा।

चमचमाते दफ्तरों में बैठकर ग्रामीणों की समस्याओं पर चिंतन नहीं हो सकता।

फौजी ने असम में देखकर गांव में तैयार करवाई ट्राली गांव के जीवन सिंह दस वर्ष पहले भारतीय सेना से नायक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

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