2012 में हुई थी Naini Lake के जलस्तर में रिकार्ड 28 इंच की गिरावट, बीते 16 साल में नौ बार शून्य पहुंचा Water Level

साफ नजर आ रहा मानव जनित दबाव का झील पर असर इतिहास में दर्ज जानकारी के अनुसार 1872, 1890 व 1936 के मानचित्र तथा तमाम अध्ययनों के अनुसार झील की अधिकतम जलभरण क्षमता 87.32 लाख घन लीटर से 81.21 लाख घन लीटर तक प्रतिशत में अंकित है।

मानव जनित दबाव का भी झील पर असर साफ नजर आ रहा है।

1872 की सूचना के अनुसार झील का जलभरण क्षेत्रफल करीब 118 एकड़ तथा गहराई 93 फीट या 28.35 मीटर रही है। आंकड़ों के अनुसार झील के जलस्तर में सबसे अधिक 28 इंच की गिरावट 13 जून 2012 को हुई थी।

तब यह गिरावट का सिलसिला 28 जून तक जारी रहा था।

जलस्तर कम होने से झील की जलभरण क्षमता 81.95 लाख घन लीटर से घटकर 77.33 लाख घन लीटर पहुंच गई थी जबकि 1872 में जल भरण क्षमता से दस लाख घन लीटर कम थी।

18 सालों में आठ बार झील के जलस्तर में गिरावट नई समस्या पैदा कर रही है। 2009 में झील किनारे डेल्टाओं की सफाई के कारण जलस्तर को शून्य में नियंत्रित किया गया, जबकि 2006 में तकनीकी खराबी से शून्य जलस्तर आंका गया।

झील के चारों ओर चौपाटी का क्षेत्रफल दो हेक्टेयर है।

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