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दिल्ली की तरह उत्तराखंड में भी बना कचरे का पहाड़, 150 मीट्रिक टन कूड़ा रोजाना डंप; निस्तारण की व्यवस्था नहीं
- न्यूज़
- Thursday | 12th September, 2024
आग लगने पर संवेदनशील श्रेणी में पहुंचता है प्रदूषण आमतौर पर हल्द्वानी शहर में वायु प्रदूषण की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहती है।
यह हवा में पर्टिकुलेट मैटर यानी पीएम-10 की मात्रा है।
लेकिन गर्मियों में कूड़े की नमी खत्म होने के कारण ट्रंचिंग ग्राउंड में आग लगना शुरू हो जाता है। यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में साइबर कमांडो की फौज तैयार, इन 10 जांबाजों का हुआ चयन; लेंगे विशेष प्रशिक्षण अप्रैल 2022 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच से पता चला था कि कूड़े के पहाड़ के धधकने पर गौला बाइपास पर प्रदूषण का स्तर 136 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पहुंच जाता है। परिचर्चा..... कूड़े के इस पहाड़ को हटाने के मामले में नगर निगम ने सरकार से लेकर हाई कोर्ट तक के आदेश तक को गंभीरता से नहीं लिया।
ढेर में आग लगने पर प्रदूषण के कारण यहां से निकलना तक मुश्किल हो जाता है।
गौलापार-चोरगलिया के ग्रामीणों संग पर्यटक तक परेशान होते हैं।- निवेदिता जोशी, जिपं सदस्य गौलापार काश्तकार इसी रास्ते से रोजाना हल्द्वानी मंडी जाते हैं।
शहर में नौकरी को आने वाले ग्रामीणों का रास्ता भी यही है।
ग्रामीणों संग मिलकर कई बार प्रशासन और नगर निगम को समस्या के समाधान के लिए ज्ञापन दिए जा चुके हैं।
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