- होम >>
BPSC Teachers: बिहार में कई बीपीएससी टीचरों की नौकरी पर लटक रही तलवार, शिक्षा विभाग ने 48 घंटे के भीतर मांगा ब्योरा
- न्यूज़
- Monday | 28th October, 2024
बीपीएसी शिक्षक बहाली के प्रथम चरण व दूसरे चरण में सीटीईटी में 60 से कम अंक रहने के बाद भी बहाल हुए हैं।
बिहार से बाहर वाले बीपीएससी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।नियम के विरुद्ध बिहार में नियुक्ति हासिल करने वाले इन शिक्षकों की जांच का आदेश जारी कर दिया गया है।
डीपीओ स्थापना ने सभी बीईओ से रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इन शिक्षकों का होगा सेवा समाप्तबिहार से बाहर के वैसे शिक्षक वर्ग एक से आठ तक के लिए नियुक्त हुए हैं, उनके सीटीईटी प्रमाणपत्रों की जांच करें, अगर उनका अंक 90 से कम है तो उन्हें सेवा से मुक्त किया जाएगा।इसी प्रकार वर्ग नवम से 12वीं तक में नियुक्त बीपीएससी शिक्षक जिन्हें एसटीईटी में 50 प्रतिशत से कम अथवा 75 अंक से कम अंक आए हैं, उन्हें भी सेवा से मुक्त किया जाना है।
प्रखंड शिक्षा अधिकारियों से पूर्व में भी रिपोर्ट मांगी गई थी।
लेकिन अधूरा रिपोर्ट होने की वजह से फिर से मांगा गया है। स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही पर होंगे बर्खास्तउधर, स्कूलों के निरीक्षण के नाम पर खानापूरी करने वाले अधिकारियों पर शिक्षा विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
विभाग के अपर मुख्य सचिव ने स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही बरतने वाले आउटसोर्सिंग अफसर को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। स्कूलों में पठन-पाठन के साथ वहां की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जिला शिक्षा पदाधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है।शिक्षा विभाग ने स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही बरतने वाले आउटसोर्सिग के तहत नियुक्त अधिकारी-कर्मचारी को बर्खास्त करने करने एवं बर्खास्तगी के बाद रिक्त पद पर गठित कमेटी द्वारा विधिवत स्रोत से चयन प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश दिया है। विद्यालयों के शैक्षणिक परिवेश, आधारभूत संरचना एवं स्कूल प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रभावी अनुश्रवण व समस्याओं के निराकरण का निर्देश दिया है।
If You Like This Story, Support NYOOOZ
Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.
डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।