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वाह रे बिहार! निर्माण में 80 की जगह खर्च कर डाले 100 करोड़ रुपये, फिर भी 3 दिन में आ गई दरार
- न्यूज़
- Friday | 13th September, 2024
वर्ष 2023 में मुंबई की महालासा कंस्ट्रक्शन को इसका टेंडर मिला, लेकिन काम पूरा करने के लिए 20 करोड़ रुपये अधिक की मांग की थी।
पांच साल बीतने के कारण सामग्री का दाम बढ़ना इसकी वजह बताई गई। इस एजेंसी को 48 करोड़ रुपये में टेंडर मिला।
तब जाकर एक वर्ष में भवन का इंटीरियर डेकोरेशन से लेकर प्लास्टर और रंगरोगन का काम पूरा किया गया। इसके अलावा, करीब 50 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदकर इंस्टॉल किए गए है।
यानि अस्पताल को चालू करने में विभाग को 150 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। पांच साल पहले हुआ था प्लास्टर महालासा कंस्ट्रक्शन के मैनेजर पवन गुप्ता ने बताया कि दीवार, बीम या पिलर में दरार नहीं आई है।
प्लास्टर टूटकर गिरा है।
यह करीब पांच वर्ष पहले किया गया था।
इसकी मरम्मत कराई जा रही है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा ने एजेंसी के मैनेजर को बुलाकर इसकी जानकारी ली थी, लेकिन जांच का आदेश नहीं दिया गया है। मैनेजर का कहना है कि ईंट और कंक्रीट की जुड़ाई करने के बाद कभी-कभी प्लास्टर फटने की समस्या आती है।
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