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प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : बूढ़ी गंडक के किनारे भस्मी देवी मंदिर में आध्यात्मिक शांति के साथ शक्ति की भक्ति
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- Thursday | 26th September, 2024
मंदिर में पूजा व दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु। हवन कुंड के भस्म का लेप लगाते हैं भक्त माता भस्मी देवी महिलाओं की सूनी गोद भरती हैं।
गोद भरने पर आंचल पर नचवाने की लोकप्रथा भी है।
श्रद्धालु मंदिर परिसर स्थित हवन कुंड के भस्म का लेप भी लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भस्म लगाने से चर्म रोग तथा पुरानी बीमारियां खत्म हो जाती हैं।
वैसे तो यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। रोजाना करीब दो सौ श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं, लेकिन शारदीय व बसंत नवरात्र में संख्या बढ़ जाती है।
इस दौरान यहां उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा असम, बंगाल के साथ नेपाल से भी प्रतिदिन हजारों भक्त आते हैं। मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा। नवरात्र में असम व बंगाल से भी आते व्यापारी यहां पूजा-अर्चना कब से शुरू हुई, इसकी जानकारी किसी को नहीं।
सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी लोग यहां पूजा करते आ रहे हैं।
वर्ष 1960 में पटना विश्वविद्यालय के एक इतिहासकार ने अपने अध्ययन में मंदिर के गर्भगृह की ईंट को पालकालीन बताया था। हालांकि, उसके बाद किसी ने इस पर कोई शोध नहीं किया।
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