संभल का जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद, जानिए क्या है सदियों पुराना इतिहास?

19 नवंबर, 2024 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दायर वाद में 26 बिंदुओं में संभल की भौगोलिक व ऐतिहासिक तथ्यों के साथ बाबरनामा की डायरी का भी उल्लेख है।

लिखा गया है कि बाबरनामा की डायरी के पेज संख्या 687 पर उल्लेख है कि बाबर जुलाई 1529 में संभल आया था।

बाबर के सेनापति ने उसके कहने पर श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कराया, फिर उस पर कब्जा करके मस्जिद के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधीन है।

वाद में कहा गया है कि एएसआइ ने अपनी वैधानिक जिम्मेदारी का पालन नहीं किया, क्योंकि उक्त संपत्ति में जनता के प्रवेश के लिए कोई प्रविधान नहीं किया गया है।

श्री हरिहर मंदिर भगवान कल्कि को समर्पित है।

यह सदियों पुराना है।

जिसे एक समिति, जामी मस्जिद समिति संभल द्वारा अवैध रूप से उपयोग किया जा रहा है। इमारत को 22 दिसंबर, 1920 को प्राचीन स्मारकों के संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उपधारा (3) के तहत अधिसूचित किया गया था, इसलिए श्री हरिहर मंदिर दायर वाद में दावा किया गया है कि संभल का पुराना शहर महिष्मत नदी के किनारे रुहेलखंड के केंद्र में स्थित है।

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