पहले चरण की आठ सीटों पर किसका राज, बदले साथी की रणनीति कितनी आई काम? मुजफ्फरनगर-नगीना पर टिकी नजरें

2019 की तुलना में इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव कुछ अलहदा था।

चूंकि प्रदेश की राजनीति का सूरज पश्चिम से उगता है, लिहाजा सत्ता पक्ष-विपक्ष दोनों ने पहले चरण से ही पूरी ताकत झोंक दी।

इस बार प्रथम चरण की जिन आठ सीटों सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में मतदान हुआ, 2019 में इनमें से पांच में सपा-बसपा गठबंधन ने जीत दर्ज की थी।

सहारनपुर, बिजनौर और नगीना बसपा के खाते में थी जबकि रामपुर और मुरादाबाद सपा ने जीती थी। कैराना, मुजफ्फरनगर व पीलीभीत में कमल खिला था।

प्रदेश की लोकसभा सीट नंबर-एक सहारनपुर में कांग्रेस का पश्चिमी उप्र में चेहरा रहे इमरान मसूद को इस बार सपा से गठबंधन का भरपूर सहारा मिला।

इमरान अपने निजी वोट बैंक के साथ मुस्लिम मतों की एकजुटता से भाजपा के 2014 के सांसद राघव लखनपाल के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करते दिखे हैं। मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान के खिलाफ राजपूतों की महापंचायत ने विपक्ष को खूब माहौल दिया।

बसपा ने भी दारा सिंह प्रजापति को उतारकर भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास किया।

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