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Kanwar Yatra History: राेचक है यात्रा का इतिहास, पहले कांवड़िया थे रावण, प्रभु श्रीराम भी लाए थे कांवड़
- न्यूज़
- Saturday | 27th July, 2024
सामान्य कांवड़ इस प्रकार की कांवड़ लाने वाले शिवभक्त अपनी यात्रा के दौरान जहां चाहे रुककर आराम कर सकते हैं।
आराम के दौरान कावड़ स्टैंड पर रखी जाती है।
इस दौरान कांवड़ जमीन से दूर रखी जाती है।
इसे झूला कांवड़ भी कहा जाता है। डाक कावड़ डाक कावड़ यात्रा में भक्त को लगातार चलते रहना पड़ता है।
वह यात्रा शुरू करने के बाद जलाभिषेक के बाद ही रुकते हैं।
यह यात्रा एक निश्चित समय के अंदर पूरी करनी पड़ती है।
वर्तमान में शिव भक्त समूह में यह यात्रा करते हैं।
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