पश्चिम यूपी में BJP के हाथ से खिसकती `पावर`, अब नया दांव चलना तय! केंद्रीय मंत्री की हार ने दिया बड़ा झटका

2014 में भाजपा बनी थी "चौधरी" पश्चिम उप्र की राजनीति जाट-गुर्जर समीकरण की धुरी पर घूमती रही है।

पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की विरासत संभालने वाला राष्ट्रीय लोकदल लंबे समय तक जाटों की पहली पसंद बना, लेकिन बाद में सपा, बसपा और भाजपा ने सत्ता में आने के बाद जाटों एवं गुर्जरों को भरपूर तवज्जो दी। 2009 में भाजपा और रालोद ने साथ चुनाव लड़ा, जिसमें चौ. अजित सिंह ने बागपत और जयन्त चौधरी ने मथुरा से जीत दर्ज की।

भाजपा से कोई जाट चेहरा संसद नहीं पहुंचा।

लेकिन 2014 में मोदी लहर के बीच पश्चिम यूपी में नई सोशल इंजीनियरिंग की गाड़ी पूरी गति से दौड़ी। भाजपा का पश्चिम में कोई जाट सांसद नहीं भाजपा के टिकट पर 2014 में तीन जाट नेता मुजफ्फरनगर से डा. संजीव बालियान, बागपत से डा. सत्यपाल सिंह एवं बिजनौर से कुंवर भारतेंदु जीतकर संसद पहुंचे और रालोद को कोई सीट नहीं मिली।

2017, 2019 एवं 2022 के चुनावों में भी भाजपा ने जाट नेताओं को सरकार से संगठन तक पूरी ताकत दी। 2024 में भाजपा ने रालोद से हाथ मिला लिया, लेकिन पार्टी के जाट नेता डा. संजीव बालियान हार गए।

बागपत सीट रालोद के कोटे में जाने से सत्यपाल सिंह प्रचार से भी दूर हो गए।

प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के कार्यकाल में पार्टी 62 से 33 सीट पर आ गई, ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी राजनीतिक चुनौतियां बढ़ेंगी। नए जाट चेहरों पर भाजपा की नजर पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल पढ़े लिखे और युवा जाट चेहरा माने जाते हैं जिन्हें पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी बनाया है।

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