Radharamanlalju: 482 साल पहले शालिग्राम शिला से प्रकट हुए थे ठा. राधारमणलालजू, 23 को प्राकट्योत्सव में होगा महाभिषेक

नेपाल की काली गंडक नदी की है शिला मंदिर सेवायत वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी बताते हैं करीब पांच सौ वर्ष पहले आचार्य गोपाल भट्ट नेपाल के काली गंडक नदी के दामोदर कुंड में स्नान कर रहे थे।

तब उनके पास द्वादश (12) शालिग्राम आ गए।

उन्हें आभास हुआ कि हमारे ईष्ट इन्हीं शालिग्राम में छिपे हैं और इन्हें वृंदावन ले जाना है।

गोपाल भट्ट सभी शालिग्राम शिला लेकर वृंदावन आ गए।

शिला का पूजन करते। ये भी पढ़ेंः Sonia Balani Interview: कंपनी एचआर से मर्डर इन महिम तक सफर, अब रणबीर की रामायण में दिखेंगी आगरा की सोनिया बलानी ये भी पढ़ेंः Income Tax Raid: आगरा में जूता कारोबारियों के यहां मिला इतना कैश कि हांफ गईं मशीनें, नाेटों की गिनती करते-करते थकी टीम जब ठाकुरजी के लिए श्रृंगार सामग्री लोग अर्पित करते, तो वह कहते अभी हमारे ठाकुर जी गर्भस्थ अवस्था में हैं, जब वह प्रकटेंगे, तब श्रृंगार सामग्री लेंगे।

उनकी इच्छा थी कि ठाकुरजी का प्राकट्य होता, तो वह भी उनका श्रृंगार करते।

गोपाल भट्ट के भाव समझ करीब 482 वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की भोर राधारमणलाल जू शालिग्राम शिला में प्रकटे। दिव्य दर्शन हैं ठा. राधारमणलालजू के वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी बताते हैं कि आराध्य के विग्रह में गोविंददेव जी का मुख, गोपीनाथजी का वक्षस्थल और मदनमोहनजी के चरणाविंद के दर्शन होते हैं।

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