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Radha Ashtami 2024: प्रथम भवन बनजार विराजीं… पांच शताब्दी पुराना है राधारानी मंदिर का इतिहास
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- Wednesday | 11th September, 2024
भुवन बनाया पुनि पग धारा चतुर्थ महल घासेरे बारे आप विराजीं अति छवि धारे पंचम महल सेंधिया राव है भूमि दान करी लाडली के नाम बनी छत्तरी बाहर सुंदर, सब में लाग रह्यो संगमरमर। इसे विस्तार से समझाते हुए स्थानीय इतिहास के जानकार योगेंद्र सिंह छोंकर बताते हैं कि सबसे पहले लाखा नामक एक बंजारे ने यहां पहले मंदिर का निर्माण कराया।
छोटी सी तिबारी के अंदर बने इस मंदिर में सबसे पहले श्रीजी का विग्रह विराजमान किया गया। यह लाखा बंजारा सागर झील वाला लाखा बंजारा भी हो सकता है, जिसके नाम पर सागर झील को लाखा बंजारा झील नाम दिया गया है।
कालगणना और दानशीलता के आधार पर भी यह वही लाखा बंजारा प्रतीत होता है, परंतु यह वही है ऐसा दावे के साथ कहना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि लाखा किसी व्यक्ति का नाम नहीं है, जिस बंजारे के पास एक लाख जानवरों का रेवड़ होता था, उसे ही लाखा कह दिया जाता था।
इसलिए लाखा बंजारे कई हो सकते हैं। इसके बाद टांटिया ठाकुर ने दूसरे मंदिर का निर्माण कराया।
टांटिया ठाकुर जाट राजा चूड़ामन के समकालीन था, इसका नाम श्रीलालजी था और टांटिया ठाकुर कहा जाता था।
1720 ईसवीं में यह चूड़ामन के भतीजे बदनसिंह के साथ जुड़ गया। संभव है इसी दौरान इसने मंदिर बनवाया हो।
यह मंदिर ब्रह्माजी के मंदिर के ऊपर स्थित है और भानगढ़ कहा जाता है।
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