`मासूमों की चीत्कार और मौत का मंजर देख कांप उठी आत्मा`, हाथरस हादसे में सुरक्षि‍त बचे भक्‍तों ने बताई आंखों देखी

बस से हाथरस गए थे लोग बिधनू विकास खंड से गांव कठुई, हाजीपुर, ढहरीपुरवा और अफजलपुर से 70 पुरुष व महिलाएं दो जुलाई की सुबह बस से हाथरस स्थित सत्संग स्थल पहुंचे थे।

कठुई निवासी ग्राम प्रधान पूनम कुशवाह संग गांव की नीलम, विनीता, रामू, धर्मेंद्र कुशवाहा और विनोद सिंह समेत करीब 20 लोग भी सत्संग में शामिल होने गए हुए थे। एक छोर पर खड़े होकर सत्संग सुनते रहे  विनोद ने बताया कि सत्संग स्थल पर क्षमता से ज्यादा भीड़ थी, जिसकी वजह से वह लोग पंडाल के एक छोर पर ही खड़े होकर सत्संग सुनते रहे।

दोपहर को सत्संग समापन से पहले ही हुई आरती के बाद उन्होंने सभी साथी महिला भक्तों से बस पर जाने को बोल दिया।

सभी महिलाएं सुरक्षित बस पर पहुंच गई।

इसके बाद बाबा नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा ने जयघोष कराकर मंच छोड़ दिया।

इसके बाद वह लोग भी पंडाल से हटकर सत्संग स्थल के पास से निकली सड़क तक ही पहुंचे थे कि रंगोली बनाने के लिए भोले बाबा की धूल लेने के लिए अचानक भगदड़ मच गई। अन‍ियंत्र‍ित हुई भीड़, बच्‍चों को रौंदकर भागने लगे लोग    देखते ही देखते भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिसमें मासूम बच्चे समेत बुजुर्ग, महिलाएं और पुरुष गिर गए और उन्‍हें हजारों लोग रौंदते हुए भागने लगे।

अपनों को बचाने के लिए लोग एक दूसरे को गिराने लगे।

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