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बिना पराली जलाए खेत में फसल उगाकर विज्ञानियों ने निकाला प्रदूषण का हल; जबलपुर, कटनी व छिंदवाड़ा में प्रयोग हुआ सफल
- न्यूज़
- Wednesday | 29th May, 2024
अन्य प्रदेश के किसानों के सामने रखा जाएगा परिणाम बीसा इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ विज्ञानिक डा. रवि गोपाल सिंह ने बताया कि इस प्रयोग ने न केवल मिट्टी के नुकसान को कम किया बल्कि खेती की लागत भी कम हुई।
उन्होंने कहा कि किसान, किताब से ज्यादा प्रयोग करके सीखता है, इसलिए हमने उनके खेत में ही यह प्रयोग किया जो सफल रहा है।
इस परिणाम को देश के अन्य प्रदेश के किसानों के सामने रखा जाएगा। फसल के लिए उपयोगी है पराली का आर्गनिक कार्बन बीसा इंस्टीट्यूट के बाद विज्ञानिक डा. महेश मस्के ने बताया कि पराली में आर्गनिक कार्बन होता है, जो ठीक इंसानों के हिमोग्लोबिन की तरह काम करता है।
यह आर्गनिक कार्बन मिट्टी की ताकत बढ़ाता और उसे स्वस्थ रखता है, लेकिन इसे जला देने से यह नष्ट हो जाता है।
उन्होंने बताया कि जहां तक मूंग लगाने की बात है तो गेहूं और चावल आदि जिंस मिट्टी से पौषक तत्व लेते हैं, लेकिन मूंग देती है।
इसमें मौजूद नाइट्रोजन से मिट्टी उपजाऊ होती है। बिना पराली जलाए की सफल खेती कटनी के निकट बोहरीबंद के किसान सत्येंद्र कुमार के खेत में यह प्रयोग किया गया।
वह बताते हैं कि शुरू में तो उन्हें अटपटा लगा।
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