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आईआईएम इंदौर ने मनाया हिंदी दिवस 2024, भाषा के महत्व पर हुई चर्चा
- न्यूज़
- Monday | 9th September, 2024
इस वर्ष के समारोह में "मीडिया का डिजिटल युग और हिंदी पत्रकारिता" पर एक पैनल चर्चा हुई।
इसमें नेटवर्क 18 के ग्रुप एडिटर - इंटीग्रेशन एंड कन्वर्जेंस श्री ब्रजेश कुमार सिंह, हिंदुस्तान टाइम्स डिजिटल में भारतीय भाषाओं के संपादक श्री प्रभाष झा, टीवी9 भारतवर्ष में टीवी9 डिजिटल के ग्रुप एडिटर श्री पाणिनि आनंद और जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक और कार्यकारी अध्यक्ष श्री राजेश उपाध्याय शामिल थे।
सत्र का संचालन प्रो. हिमांशु राय ने किया।
पनेलिस्ट्स ने इस बात पर चर्चा की कि हिंदी पत्रकारिता किस प्रकार डिजिटल युग में ढल रही है और फल-फूल रही है। हिंदी लेखकों की भूमिका पर हुई चर्चा श्री ब्रजेश कुमार सिंह ने भाषा के संरक्षण और संवर्धन में हिंदी लेखकों की भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंदी लेखकों ने न केवल साहित्य को नई दिशा दी, बल्कि भाषा को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि साहित्य की भाषा फिल्मों में दिखाई जाने वाली बोलचाल की हिंदी से भिन्न है, जो समय के साथ विकसित हुई है। उन्होंने कहा, "डिजिटल क्षेत्र में हिंदी का बढ़ता उपयोग अन्य भारतीय भाषाओं को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि यह उनके विकास को प्रोत्साहित करेगा।" उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में चीन से आगे निकलने की दहलीज पर पहुंच रहा है, डिजिटल विस्तार अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने वाला है। साहित्य पत्रकारिता का मायका है श्री पाणिनि आनंद ने हिंदी पत्रकारिता और साहित्य के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध पर विचार करते हुए कहा कि "साहित्य पत्रकारिता का मायका है।" उन्होंने बताया कि पत्रकारिता साहित्य की समृद्ध परंपरा से निकली है और ऐतिहासिक रूप से हिंदी पत्रकारिता में साहित्य का सार है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता में वह साहित्यिक गहराई नहीं है जो पहले हुआ करती थी। उन्होंने कहा, "डिजिटल बूम, खासकर महामारी के दौरान ने, भाषा के उपभोग के परिदृश्य को बदल दिया है।" पत्रकारिता की भाषा पिछले कुछ वर्षों में बदली है, लेकिन विविध भाषाओं में सामग्री की मांग में वृद्धि ही होगी, जो भाषाई रूप से अधिक विविधतापूर्ण भविष्य का संकेत है। सांस्कृतिक बदलावों से प्रभावित होती है भाषा श्री प्रभाष झा ने संचार में स्पष्टता के महत्व और हिंदी पत्रकारिता के लिए साहित्य के साथ अपने संबंध को बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
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