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भगवान शिव को प्रिय Sawan 2024 में इस बार अद्भुत संयोग, पढ़ें, इस माह में क्यों होता है सोमवार का दिन खास?
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- Thursday | 18th July, 2024
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यह भी मान्यता है कि श्रावण मास में ही देवता और असुरों के मध्य समुद्र मंथन किया गया था।
मंथन में निकले 14 रत्नों में हलाहल विष भी शामिल था।
यह ऐसा विष था, जिससे संपूर्ण सृष्टि का सर्वनाश निश्चित था।
इसलिए संसार के कल्याण के लिए भगवान शिव ने स्वयं उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था।
इसलिए महादेव को नीलकंठ नाम से भी जाना जाता है।
सभी देवताओं ने विष के प्रचंड वेग को कम करने के लिए भगवान शिव पर जल का अभिषेक किया था। सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से वह प्रसन्न होकर भक्तों की सभी प्रार्थनाएं सुनते हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि हमारे दुखों का कारण जाने-अनजाने किए गए पाप ही होते हैं, लेकिन रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से पातक कर्म एवं महापातक जलकर भस्म हो जाते हैं।
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