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20 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना हुई थी लॉन्च, लेकिन आठ साल बाद भी `राम तेरी गंगा मैली`
- न्यूज़
- Saturday | 23rd November, 2024
दैनिक जागरण में भ्रष्टाचार के इस मामले को प्रमुखता से उठाने के बाद हुई एक से अधिक विभागीय जांच में न सिर्फ नहर निर्माण में हुआ भ्रष्टाचार प्रमाणित हुआ, बल्कि विभागीय जांच अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के दोषी अधिकारियों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई की संस्तुति भी की।उत्तराखंड सिंचाई विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रमुख अभियंता सिंचाई मुकेश मोहन ने न सिर्फ इसे स्वीकार किया था, बल्कि स्पष्ट किया था कि यह सही है कि तकनीकी स्वीकृति के इतर लचर तरीके से कराए गए निर्माण के कारण बिना इस्तेमाल के ही नहर ढह गई और करोड़ों रुपये के सरकारी धन की बर्बादी हुई।
साथ ही गंगा की निर्मलता को बनाए रखने का उद्देश्य भी प्रभावित हुआ।
बावजूद इसके विभागीय जांच में भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, कई तो समस्त सरकारी लाभ लेते हुए सेवानिवृत्त भी हो गए। बड़े-बड़े जनरेटर सेट खरीदे गएइसी तरह एसटीपी तक सीवरेज जल पहुंचाने को शहरी क्षेत्र में बने सीवरेज पंपिंग स्टेशन को निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए बड़े-बड़े जनरेटर सेट खरीदे गए, जबकि तमाम पंपिंग स्टेशन पर पहले से ही जनरेटर सेट मौजूद थे।
नए तो आ गए, पर पुराने जनरेटर सेट का क्या हुआ, इसका विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। यही नहीं, गंगा की स्वच्छता को प्रतिदिन निकलने 120 एमएलडी सीवरेज जल के सापेक्ष मौजूद एसटीपी 27 एमएलडी की एक और 18-18 की दो एसटीपी की शोधन क्षमता को नाकाफी बताते हुए नई एसटीपी के निर्माण की आवश्यकता जताई गई थी।दावा था कि यह सब अगले 20 से 30 वर्ष को ध्यान में रखकर बनाई गई योजना के तहत किया जा रहा है।
ऐसा ही दावा सीवरेज पंपिंग स्टेशन निर्माण के लिए किया गया था, लेकिन वास्तविकता के धरातल पर ऐसा कुछ नहीं है, जिसकी पुष्टि पीसीबी की रिपोर्ट करती है। यह भी पढ़ें- Kedarnath By Election Result 2024: भाजपा को मिला बाबा केदार का आशीर्वाद, केदारनाथ में खिला कमलएनएमसीजी को हरिद्वार निवासी गंगा प्रेमी रामेश्वर गौड़ की 21 अक्टूबर 2024 को भेजी गई लिखित शिकायत में आरोप है कि भ्रष्टाचार में लिप्त जिम्मेदार अधिकारियों ने काम के साथ-साथ योजना निर्माण में भी घपला किया था, जिसके कारण नमामि गंगे परियोजना के तहत होने वाले कार्य अपने उद्देश्य को पूर्ण किए बिना शुरुआती वर्षों में ही धराशायी हो गए। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से एनएमसीजी के निदेशक तकनीकी डा. प्रवीण कुमार ने 18 नवंबर 2024 को भेजे अपने पत्र में कार्यक्रम निदेशक एसपीएमजी से इन्हीं मामलों की जांच कर जांच रिपोर्ट भेजने और कार्यवाही करने के संबंध में निर्देशित किया है। ।
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