पेट की टीबी दे रही बड़ा घाव, फट रहीं आंत, 50 रोगियों में से छह की मौत

इसे भी पढ़ें-सीएम की फटकार के बाद बलिया में हत्यारोपितों के घर पर चला बुलडोजर इसलिए होती है पेट की टीबी, करें बचाव -फेफड़े में टीबी है तो पेट को भी संक्रमित कर सकती है। -घर या पड़ोस में किसी को टीबी है, उससे समुचित बचाव न हो पाया हो। -गाय-भैंस का कच्चा दूध पीने से माइक्रो बैक्टीरियम बोवेफ संक्रमण हो सकता है, जो टीबी का कारण है। -घर के आसपास गंदगी होने से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी, ऐसे लोगों को टीबी हो सकती है। -बार-बार पेट दर्द, वजन कम होना, खून की कमी, शाम को हल्का बुखार होने पर डाक्टर को न दिखाना भी बन सकता है कारण। -किसी भी तरह का नशा करना, गंभीर बीमारी व भोजन में पोषक तत्वों की कमी।

इनकी वजह से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और टीबी की आशंका बढ़ जाती है। बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अभिषेक जीना ने कहा कि रोगियों में सर्वाधिक लोग नशे का सेवन करते थे।

पढ़े-लिखे नहीं थे।

उनके घर या पड़ोस में किसी को टीबी हुई थी।

जिन छह लोगों की मौत हुई, वे तीन से पांच दिन विलंब से आए थे।

उन्हें रक्त संक्रमण (सेप्टीसीमिया) हो गया था। बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दुर्गेश त्रिपाठी ने कहा कि पेट दर्द, एसीडिटी, खून की कमी, थकान, हल्का बुखार रहने की शिकायत यदि बार-बार हो रही है तो पेट की टीबी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए।

शुरुआती समय में पता चल जाने से इसकी गंभीरता लगभग 95 प्रतिशत तक रोकी जा सकती है। ।

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