गोरक्षनगरी के अंतिम छोर तक तैयार होगा सुनियोजित विकास का खाका, जिला पंचायत ने बढ़ाए मानचित्र स्वीकृति शुल्क

जिला पंचायत की ओर से तैयार प्रारूप के मुताबिक अब आवासीय व शैक्षणिक भवनों के मानचित्र स्वीकृति के लिए 50 रुपये की बजाए 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क देना होगा।

इसी तरह व्यावसायिक व व्यापारिक भवन के सभी तलों पर फर्श से ढके भाग के लिए 200 रुपए प्रति वर्ग मीटर शुल्क लगेगा।

वर्तमान में 100 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्क देना पड़ता है। प्लाटिंग व कालोनी विकसित करने का शुल्क भी हुआ दोगुनाग्रामीण क्षेत्रों में भूमि को योजनाबद्ध तरीके से विभिन्न आकार के प्लाटों को बांटना यानी भूमि की प्लाटिंग, भूमि विकास यानी भूमि पर योजनाबद्ध तरीके से पार्क, उद्यान बनाने, फार्म हाउस विकसित करने, नर्सरी लगाने, शादी बैंक्वेट हाल निर्माण के लिए ले-आउट प्लान यानी तलपट मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए अब 20 रुपये की बजाए 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क देना होगा। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का विभिन्न प्रकार के सामानों के भंडारण के लिए प्रयोग करकने जैसे निर्माण सामग्री, कंटेनर, ईंधन, आरसीसीसी, पाइप आदि और किसी परियोजना का ले आउट प्लान स्वीकृत कराने के लिए भी 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क लगेगा।पूर्णता प्रमाण पत्र पाने को भी 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्कजिला पंचायत की ओर से प्रस्तावित दरों के मुताबिक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने की दरों में भी बदलाव किया गया है।

अब 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर की बजाए 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्क देना होगा।

ये दरें सभी तलों के कुल आच्छादित क्षेत्रफल पर लागू होगी। इसे भी पढ़ें-भदोही से सपा विधायक जाहिद बेग की पत्नी सीमा पर केस दर्ज, आलीशान मकान होगा कुर्कचहारदीवारी बनाने के लिए भी ढीली होगी जेबग्रामीण क्षेत्रों में यदि चहारदीवारी का भी निर्माण कराते हैं तो जिला पंचायत में शुल्क जमा करना पड़ेगा।

यद्यपि यह व्यवस्था 2022 से ही लागू है लेकिन, इसका अनुपालन नहीं हो पा रहा था।

अब इसपर भी जिला पंचायत के अधिकारियों, कर्मचारियों की नजर रहेगी।

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