- होम >>
UP News: कोरोना काल से भी खराब हाल में गोरखपुर का वस्त्रोद्योग, उत्पादन में 50 प्रतिशत की कमी
- न्यूज़
- Sunday | 29th September, 2024

गीडा में पावरलूम संचालित करने वाले लघु उद्योग भारती के मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल बताते हैं कि उनकी इकाई पिछले 15 दिनों से बंद है।
स्टाक इतना अधिक हो गया है कि पहले उसकी खपत पर ध्यान है। उन्होंने बताया कि अभिभावकों के खाते में ड्रेस का पैसा सीधे भेजने से कपड़े की मांग ही कम हो गई है।
अभिभावक ड्रेस नहीं खरीद रहे हैं।
बंगाल में पहले खुले बाजार से स्कूल ड्रेस का कपड़ा लिया जाता था।
उस समय हर फैक्ट्री के उत्पाद की मांग थी लेकिन वहां की सरकार ने पूरे प्रदेश में ड्रेस आपूर्ति का ठीका राजस्थान के भीलवाड़ा की एक कंपनी को दे दिया है, जिससे यहां के कपड़ों की मांग नहीं रही। बांग्लादेश से सस्ता कपड़ा आने के कारण भी मांग में कमी आयी है।
कारीवाल बिजली बिल में मिलने वाली छूट में परिवर्तन को भी इसके लिए जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि 31 मार्च, 2023 तक 143 रुपये प्रति मशीन बिल देना था, लेकिन एक अप्रैल, 2023 से 880 रुपये प्रति मशीन कर दिया गया।
हालांकि इसको लेकर कोई सख्ती नहीं है। इसे भी पढ़ें-दोस्तों से बंधवाए हाथ-पैर, फिर अपने ही पिता से मांगे 25 लाख चार साल पहले तक हर महीने बनता था 50 लाख मीटर कपड़ा दीपक कारीवाल बताते हैं कि चार साल पहले तक हर महीने 50 लाख मीटर कपड़ा यहां तैयार किया जाता था।

If You Like This Story, Support NYOOOZ
Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.
अन्य गोरखपुर की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।
डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।