Railways News: दो करोड़ से अधिक आबादी के लिए दो ट्रेनों में 300 सीट, लोगों की बढ़ी मुश्‍किलें

गोरखपुर से आनंदविहार के बीच एक तीसरी ट्रेन मिली है, वह भी सप्ताह में एक दिन चलती है।

हालांकि, गोरखपुर के रास्ते बिहार से दिल्ली के लिए वैशाली, बिहार संपर्क क्रांति, सत्याग्रह, सप्तक्रांति आदि आधा दर्जन ट्रेनें चलती हैं, लेकिन वह गोरखपुर आने से पहले ही पूरी तरह भर जाती है। यात्री कोचों में चढ़ भी नहीं पाते।

यात्री कोचों के गेट, गैलरी में खड़ा होकर यात्रा करने को मजबूर हैं।

दिल्ली और दूर होती जा रही है।

क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयूसीसी) के सदस्य अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि पूर्वांचल और बिहार के जनरल यात्री धक्के खाने को विवश हैं।

गोरखपुर से दिल्ली के बीच जनरल कोचों वाली एक ट्रेन की जरूरत है।

इसके बाद भी रेलवे बोर्ड उदासीन बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय और पूर्वांचल का प्रमुख शहर सिर्फ गोरखपुर का ही नहीं बल्कि बस्ती मंडल, नेपाल और बिहार के करीब पांच करोड़ लोगों के आवागमन का भी मुख्य केंद्र हैं।

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