New Criminal Laws: बदल गईं IPC की धाराएं, चोरी-मानहानि पर करनी होगी नालों की सफाई; साइबर अपराध पर तो मृत्युदंड

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 (3) में प्रविधान किया गया है कि सात वर्ष से कम सजा वाले मामले में मुकदमा दर्ज करने से पहले थानेदार को जांच करने का अधिकार होगा।

यह जांच 14 दिन के भीतर पूरी करनी होगी।

इसके अलावा दुष्कर्म का मुकदमा थाने के मुंशी व दीवान दर्ज नहीं करेंगे।

हर थाने में एक महिला पुलिसकर्मी की ड्यूटी रहेगी, जो पीड़ित का बयान दर्ज करने के साथ ही खुद मुकदमा दर्ज करेगी। लोकसेवक पर नहीं कर सकेंगे परिवाद लोकसेवक के विरुद्ध शासकीय कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर अब कोई भी व्यक्ति न्यायालय में परिवाद दाखिल नहीं कर सकेगा।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 (2) में इसकी व्याख्या करते हुए पुरानी व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है।

लोकसेवक पर परिवाद तभी दाखिल होगा, जब उसके विभाग के अधिकारी आरोप की जांच करके उसके विरुद्ध रिपोर्ट देंगे। बदल गई यह धाराएं  अपराध IPC VNS हत्या 302 101 हत्या का प्रयास 307 109 दुष्कर्म 376 63 जालसाजी 420 316 साइबर अपराधी को मिलेगी मृत्यु की सजा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 111 में संगठित अपराध को परिभाषित किया गया है।

इसमें 17 मामले शामिल किए गए हैं, जिसमें साइबर अपराध, अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरिया वसूली, भूमि हथियाना, सुपारी देकर हत्या करना, नकली नोट छापना व चलाने के मामले को शामिल किया गया है।

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