Gorakhpur News: गोरखपुर के मोती पोखरे ने 17 दिनों में बदली सूरत, अब साफ दिख रही वर्षों पहले डूबी नाव

24 सतंबर को सफाई शुरू करने के समय मोती पोखरे का हाल।- जागरण उन्होंने बताया कि दशकों पुराने मोती पोखरे को स्वच्छ बनाने के लिए नैनो बबल्स की शक्ति, उत्प्रेरक के रूप में अल्ट्रासाउंड और फ्री रेडिकल्स का उपयोग किया जा रहा।

टीम अल्ट्राउंड मशीन से 20 हजार से 30 हजार मेगा हर्त्ज की ध्वनियां पोखरे के जल में उत्पन्न कर ई-कोलाई बैक्टीरिया के सेल को क्षतिग्रस्त कर रही है। निरंतर चलने वाली इस प्रक्रिया से ई-कोलाई मृत हो जाते हैं।

दूसरी ओर नैनो बबल तकनीक का एरेटर की मदद से इस्तेमाल जारी है।

एरेटर कोरोना वायरस से भी छोटे-छोटे बुलबुलों की मदद से आक्सीजन पानी के तल तक पहुंचाता है। इसे भी पढ़ें-पाकिस्तान की लड़की से जौनपुर के लड़के का हुआ ऑनलाइन निकाह, वीडियो कॉल पर बोले- कुबूल है इससे जल में आक्सीजन की मात्रा में वृद्धि के साथ लाभकारी बैक्टीरिया को पनपने और उसे खुद को तेजी से विस्तारित करने में सफलता मिलेगी।

लाभकारी बैक्टीरिया पोखरे के तल में जमा गंदगी (सीओडी एवं बीओडी) को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिससे पोखरे की सफाई होने के साथ जल का घनत्व भी बढ़ जाता है। सफाई के बाद पोखरे का सुंदरीकरण कराएगा निगम करीब सवा एकड़ क्षेत्रफल में स्थित मोती पोखरे की सफाई का कार्य पूरा होने के बाद नगर निगम प्रशासन इसका सुंदरीकरण कराएगा।

निगम के मुख्य अभियंता संजय चौहान के मुताबिक पोखरें के किनारे-किनारे पाथवे बनाने के साथ ही वहां बैठने के लिए बेंच लगाए जाएंगे।

पोखरे के चारों तरफ आकर्षक लाइटें लगाने के साथ ही पोखरा में दोबारा गंदगी न हो इसलिए इसमें गिरने वाली नालियों के पानी को टैप किया जाएगा।

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