संवादी गोरखपुर: हिंदी, सिंधी, भोजपुरी की त्रिवेणी से विचारों का महाकुंभ साकार

इसे भी पढ़ें-संवादी गोरखपुर: सिर्फ मनोज तिवारी, रवि किशन और पवन सिंह से भोजपुरी नाहीं चली.... राष्ट्रीय सिंधी विकास परिषद के निदेशक प्रो.रविप्रकाश टेकचंदाणी और उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी के निदेशक अभिषेक कुमार अखिल के बीच हाशिए पर सिंधी साहित्य पर चर्चा में विभाजन की पीड़ा सहेजे सिंधी बोली का सुखद पक्ष भी उभरा।

संविधान और जाति व्यवस्था पर मंथन में विद्वानों ने माना कि जातियों का बंधन तोड़ने के लिए समता मूलक व समावेशी समाज जरूरी है।इस सत्र के बाद गंभीर मंथन सांसद मनोज तिवारी के आगमन के साथ चुटीलेपन का पुट पा गया।

फहरात रहे भोजपुरी का भाव दीर्घा में उपस्थित श्रोताओं के मन पर छा गया।

रिंकिया के पापा..., हटत नइखे भसुरा... जैसे अपने गीत गुनगुनाकर मनोज तिवारी श्रोताओं को गुदगुदाने-हंसाने के साथ भोजपुरी के विकास और उसके अधिकार को लेकर गंभीर बातें कर गए। जागरण संवादी के अंतिम सत्र के समापन पर उत्साहित श्रोता।

जागरण इसे भी पढ़ें-दैनिक जागरण के संवादी में बोले CM योगी, हिंदी ही बन सकती है पूरे भारत में संवाद का माध्यम सांसद रविकिशन शुक्ल के हवाले से भोजपुरी का सफर आस्कर तक देखकर सभागार में उपस्थित हर व्यक्ति अपनी बोली के प्रति गर्व से भर गया।

संवादी ने रफी का शताब्दी वर्ष भी मनाया, जिसे पंकज कुमार ने उनके तरानों से सजाया।

साहित्यकार यतीद्र मिश्र ने किशोर और नौशाद संग उनके संबंधों के रोचक किस्से सुनाए, तो वहीं युनुस खान हृदय को छूने वाली आवाज के साथ रफी के संघर्षों की जानकारी देकर श्रोताओं को भावुक कर देते हैं।

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