संवादी गोरखपुर: पाठकों के हाथ में किताब पहुंचना जरूरी, जागरण हिंदी बेस्टसेलर में खुलकर हुई चर्चा

इसे भी पढ़ें-संवादी गोरखपुर: सिर्फ मनोज तिवारी, रवि किशन और पवन सिंह से भोजपुरी नाहीं चली.... उन्होंने कोरोना काल का उदाहरण रखते हुए कहा कि लाकडाउन में तेजी से ऐसे पाठक बढ़े।

नई किताबें, नए लेखकों को एक नया आयाम मिला।

किताबों के विषय पर चर्चा उठी तो अपनी पुस्तक जिंदगी 50-50 के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2022 से सम्मानित हो चुके भगवंत अनमोल ने बड़ी साफगोई से कहा कि आप चाहे जितना भी अच्छा लिखें, पाठकों के हाथ में जब तक किताबें नहीं पहुंचतीं, कोई मतलब नहीं रह जाता। उन्होंने दैनिक जागरण का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो किताब पहले बिल्कुल नहीं बिक रही थी, वह जागरण बेस्ट सेलर की सूची में जुड़ते ही तेजी से बिकने लगी।

किताबों के विषय पर विनीता अस्थाना ने कहा जो भी विषय अंत:करण को जोड़े और जिससे आप खुद सहमत हों, उसे चुनना चाहिए।बेहया शुरू में बहुत ट्रोल हुई।

मेरी दूसरी किताब दरकते दायरे में समलैंगिकता पर बात की गई है।

इस विषय पर अपने देश में अभी बहुत कम बात होती है।

इसे स्वीकारना कठिन है।

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