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गुरु पूर्णिमा पर विशेष: नाथ पंथ के मूल में योग और योग के मूल में गुरु शिष्य परंपरा
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- Sunday | 21st July, 2024
नाथ पंथ में गुरु ही ईश्वर है डा. प्रदीप राव बताते हैं कि नाथपंथ में गुरु और ईश्वर में कोई फर्क नहीं माना जाता है।
नाथ परंपरा में गुरु ही ईश्वर है और ईश्वर ही गुरु है।
यही वजह है कि गोरखनाथ मंदिर के लिए गुरु पूर्णिमा पर्व का खास महत्व है।
समय के साथ पर्व के आयोजन का स्वरूप भले ही बदलता रहा हो लेकिन महत्व हमेशा पारंपरिक ही रहा है। कीर्तिमान रच रही पीठ की तीन पीढ़ी लोक कल्याणकारी कार्यों के अनुगमन में गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ी गुरु परंपरा का कीर्तिमान रचती नजर आती है।
ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने लोक कल्याण के लिए शिक्षा को सबसे सशक्त माध्यम के रूप में अपनाते हुए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। उनके समय में ही चिकित्सा सुविधा के लिए मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी।
अपने गुरु द्वारा शुरू किए गये इन प्रकल्पों को शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने विस्तार दिया।
अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गुरु की इस परंपरा को पूरी प्रतिबद्धता से आगे बढ़ा रहे हैं। ।
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