Ghaziabad Foundation Day: 48 सालों में गाजियाबाद ने भरी विकास की उड़ान, विकसित शहरों में शामिल हुआ नाम

वह बताते हैं कि गाजियाबाद में 1976 के वक्त सार्वजनिक परिवहन के साधनो में मुख्य रूप से ट्रेन और बस की सुविधाएं थीं, अब यहां पर देश की पहली नमो भारत ट्रेन का परिचालन हो रहा है।

हिंडन एयरपोर्ट बनने से एयर कनेक्टिविटी की सुविधा है, जिससे कुछ ही मिनटों में एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंच सकते हैं। सैकड़ों की संख्या में हैं बहुमंजिला इमारतेआज यहां पर सैकड़ों की संख्या में बहुमंजिला इमारते हैं, जिनमें न केवल गाजियाबाद बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के लोग अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं, जो कि न केवल गाजियाबाद बल्कि दिल्ली- एनसीआर में कार्य कर गाजियाबाद के साथ एनसीआर के आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं, गाजियाबाद जिला अब औद्योगिक के साथ शिक्षा की नगरी के रूप में जाना जाता है। ऐतिहासिक विरासत को संजोते हुए आगे बढ़ रहा गाजियाबादपौराणिक काल से गाजियाबाद का अपना अस्तित्व है।

जानकार बताते हैं कि इंद्रप्रस्थ (वर्तमान में दिल्ली ) की स्थापना से पहले गढ़मुक्तेश्वर और यमुना नदी के बीच के क्षेत्र को खन्डव प्रस्थ (खांडव वन) के नाम से जाना जाता था, यह क्षेत्र ही वर्तमान में गाजियाबाद है।

उस वक्त खन्डव प्रस्थ में सघन वन था, इनके बीच में कुछ गांव और घर थे।

प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर भी यहां पर है। महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ और हस्तिनापुर के बीच कौरवों और पांडवों का आवागमन यहीं से होता था।

मुगल काल में दिल्ली से कोलकाता जाने वाला राजमार्ग (वर्तमान में जीटी रोड) चालू हो चुका था।

मुगलों ने शुरू में क्रीड़ा भूमि के रूप में इस स्थान का इस्तेमाल किया।1750 ई. में अहमदशाह के वजीर गाजिउद्दीन ने इसे एक छोटे से नगर का रूप दिया और नगर के चारों ओर चार दरवाजे बनवाए और सैनिक दस्तों के लिए एक सराय बनाई।

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