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PHOTOS: तर्पण की सनातनी परंपरा निभाने एक तट पर आए रूसी और यूक्रेनी नागरिक, युद्ध के बीच दिया शांति का संदेश
- न्यूज़
- Monday | 7th October, 2024
महिलाएं भारतीय परंपरा के अनुसार साड़ी और पुरुष धोती पहने थे।
कर्मकांड की विधि गयापाल पुरोहित नरेंद्र कटियार ने कराई। पिंडदानियों ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण शुद्ध-शुद्ध किया।
रूस के नतालबिन ने कहा कि कर्मकांड कर मन को शांति मिल रही है।
पिंडदान कर असीम शांति की अनुभूति हो रही है, जबकि मामग्रेटा ने कहा कि उनके पुत्र का निधन तीन वर्ष पहले हो गया था।
कर्मकांड के बाद मन हल्का लग रहा है। इस दौरान वे लोग सनातन संस्कृति व परंपरा के तहत पिंडदान और तर्पण के महत्व से अवगत हुए, इससे जुड़ी कथाएं सुनीं।
ये सभी रविवार को गयाजी पहुंचे थे। पुरोहित अरविंद लाल कटियार ने बताया कि इस बार काफी संख्या में रूस के पिंडदानी आए हैं। इसके अलावा यूक्रेन के भी कुछ लोग हैं।
इन सभी ने सनातन धर्म अपना रखा है।
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