- होम >>
Bihar Education News: 7 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर! शिक्षा विभाग का नया निर्देश जारी, पढ़ें डिटेल
- न्यूज़
- Wednesday | 16th October, 2024
दोहरे नामांकन वाले विद्यालयों की सूची प्रखंड वार प्रखंड नामांकित छात्र आमस 256 अतरी - 223 बांके बाजार - 657 बाराचट्टी - 657 बेलागंज - 406 बोधगया - 326 डोभी - 269 डुमरिया - 390 फतेहपुर - 297 गया टाउन - 270 गुरारू - 196 गुरूआ - 348 इमामगंज - 541 खिजरसराय - 275 कोंच - 182 मानपुर - 200 मोहनपुर - 593 मोहड़ा - 186 नीमचक-बथानी - 212 परैया - 78 शेरघाटी - 383 टनकुप्पा - 99 टिकारी - 200 बजीरगंज - 362 भभुआ के विद्यालयों में दोहरे नामांकन वाले 2092 बच्चों की ही पहचान भभुआ जिले में दोहरे नामांकन वाले स्कूली बच्चों की पहचान करने की कार्रवाई की जा रही है।
शिक्षा विभाग द्वारा यह कार्रवाई विभागीय निर्देश के तहत की जा रही है।
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के सभी 11 प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत विद्यालयों में दोहरे नामांकन वाले बच्चों की पहचान की गई।
जिनकी संख्या 2092 है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
योजनाओं का लाभ लेने के लिए जिले के सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ निजी विद्यालयों में नामांकन कराया गया है।
इतना ही नहीं दो-दो प्रखंडों के सरकारी विद्यालयों में नामांकन है। ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए राज्य मुख्यालय के निर्देश के तहत जिले में भी दोहरे नामांकन लेने वाले बच्चों की पहचान की जा रही है। यहां हुई दोहरे नामांकन वाले बच्चों की पहचान मिली जानकारी के अनुसार जिले में अब तक दोहरे नामांकन वाले बच्चों की प्रखंडवार पहचान के क्रम में अधौरा प्रखंड में 123, भभुआ में 297, भगवानपुर में 81, चैनपुर में 393, चांद में 112, दुर्गावती में 66, कुदरा में 188, मोहनियां में 263, नुआंव में 122, रामगढ में 163, रामपुर में 284 बच्चों की पहचान की गई है। प्रभारी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा कृष्ण मुरारी गुप्ता ने बताया कि जिले के विद्यालयों में दोहरे नामांकन वाले बच्चों की चिह्नित करने की कार्रवाई की जा रही है।
विभागीय निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह भी पढ़ें ।
If You Like This Story, Support NYOOOZ
Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.
डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।