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अच्छी खबर: अब पराली नहीं फैलाएगी प्रदूषण, ऊर्जा का नया स्रोत बन लाएगी खुशहाली
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- Thursday | 24th October, 2024
आईआईटी-आईएसएम में पराली और कोयले की छाई से मीथेन गैस बनाने वाले लैब के उपकरण।
जागरणधनबाद आईआईटी-आईएसएम में डिपार्टमेंट आफ पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के प्रो. गुड़िया के मस्तिष्क में पराली जलने से त्रस्त दिल्ली, हरियाणा और पंजाब वासियों के संकट का निदान निकालने का विचार कौंधा। कोरोना काल 2019-20 में इस पर काम शुरू किया।
टीम बनाकर शोध का खर्च स्वयं वहन करना शुरू किया।प्रयोगशाला अधिकारी लालदीप गोप ने तकनीकी सहायता को हाथ बढ़ाया।
फिर आईएसएम के तत्कालीन डायरेक्टर राजीव शेखर ने इसके लिए पांच लाख रुपये दिए।यह राशि कम थी, पर उन्होंने हार नहीं मानी।
अब नए रिसर्च को बढ़ावा देने वाले नए डायरेक्टर प्रो. सुकुमार मिश्रा से टीम को काफी उम्मीद है। वह बताते हैं कि इस शोध को पेटेंट कराने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी।
भारत सरकार यदि इस तकनीक को अपना ले और प्लांट बनाकर उत्पादन करे तो पराली से खुशहाली आ सकती है।प्रो. चंदन गुड़िया। पराली-कोयले की राख के टैबलेट से बनेगी मीथेनप्रो. गुड़िया बताते हैं कि पराली यानी पुआल पूर्ण दहनशील है।
यह कम राख पैदा करती है।
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