उत्‍तराखंड में New Criminal Laws लागू करना बना चुनौती, राजस्व पुलिस खींच रही हाथ; पीछे है ये वजह

उत्तराखंड में वर्ष 1861 से राजस्व पुलिस प्रदेश में राज्य गठन के बाद राजस्व पुलिस के अंतर्गत 7500 गांव थे, जहां 1216 पटवारी और 165 कानूनगो इस व्यवस्था को चला रहे थे।

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 1250 गांवों को सिविल पुलिस के दायरे में लिया गया है।

शेष छह हजार से अधिक गांव अभी राजस्व पुलिस के पास ही हैं।

इनमें अभी लगभग 650 पटवारी राजस्व पुलिस की व्यवस्था को देख रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड में वर्ष 1861 से राजस्व पुलिस, यानी पटवारी पुलिस की व्यवस्था चली आ रही है।

इस अनूठी व्यवस्था के अंतर्गत राजस्व क्षेत्रों में पटवारी व कानूनगो को राजस्व कार्यों के साथ ही पुलिस के कार्यों का दायित्व भी निभाना होता है।

राजस्व क्षेत्रों में अपराधों की जांच, मुकदमा दर्ज करना और अपराधियों को पकडऩा राजस्व पुलिस की ही जिम्मेदारी है। यह बात अलग है कि राजस्व पुलिस के पास अपराधियों से मुकाबले के लिए अस्त्र-शस्त्र नहीं हैं।

प्रदेश में वर्ष 2022 में वनंतरा रिजार्ट प्रकरण के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राजस्व पुलिस की व्यवस्था को समाप्त करते हुए इन क्षेत्रों को सिविल पुलिस को देने के निर्देश दिए।

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