Uttarakhand के 3000 परिवार कर रहे वन अधिनियम की धारा हटाकर मालिकाना हक देने की मांग, पढ़िए क्‍या है माजरा?

उन्होंने कहा कि पिछले 60 वर्षों से यहां पर 3,000 परिवार निवासरत हैं, जो पिछले कई वर्षों से धारा-4 को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।

लेकिन सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जबकि हाल ही के वर्षों में नगर निगम की ओर से भी बिजली-पानी के कनेक्शन पर एनओसी नहीं दी जा रही है।यह भी पढ़ें- Uttarakhand: चारपाई से उठने के लिए कहा तो मकान मालकिन ने खोया आपा, 10-12 लोगों संग मिलकर किराएदार को धुन डाला अधिकारियों की ओर से भी किया जा रहा परेशानउन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों की ओर से भी क्षेत्रवासियों को परेशान किया जा रहा है।

चंद्रबनी मुख्य मार्ग पर स्वीकृत शहीद द्वार का निर्माण भी वन विभाग के अधिकारी नहीं होने दे रहे हैं।

पूर्व में बनी सड़कों के निर्माण में भी बाधा उत्पन्न की जा रही है, जिससे क्षेत्रवासी परेशान हैं। रैली में पूर्व ब्लाक प्रमुख विपिन कुमार, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता मदन सिंह, रामपाल राठौर, आशीष तोमर, ललित श्रीवास्तव, किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र चौधरी, विलोचन प्रसाद शर्मा, अनिल ढकाल, अजय गोयल, अनीष भटनागर, माधुरी नेगी आदि शामिल थे। आदिवासी समुदायों की कला, संस्कृति और शिल्प का दिखा संगमदेहरादून: आदि गौरव महोत्सव का दूसरा दिन उत्तराखंड की आदिवासी विरासत का जीवंत उत्सव रहा।

इसमें आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपरा और कलात्मकता का प्रदर्शन देखने को मिला।

जौनसारी, भोटिया, बुकसा, थारू और राजी समुदायों के आदिवासी समूहों ने अपनी जीवंत वेशभूषा, लयबद्ध नृत्य और भावपूर्ण संगीत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं शाम को सुप्रसिद्ध लोकगायिका माया उपाध्याय के लोकगीतों पर दर्शक झूमने को मजबूर हो गए।

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