इतिहास से रूबरू करा रहे देहरादून के ये Heritage Walk

संक्षेप:

  • कई ऐतिहासिक राज संजोए हुए है देहरादून
  • देहरादून खान-पान के लिए भी है काफी प्रसिद्ध
  • पढ़िए देहरादून के हेरिटेज वॉक की कहानी

 

देहरादून: देहरादून, जो भारत की राजधानी के लिए नामांकित होने के साथ-साथ ब्रिटिश जमाने में जर्मन, ऑस्ट्रिया, इटली के दुश्मनों के लिए जेल भी रह चुका है, आज भी अपने अंदर कई ऐतिहासिक राज संजोए हुए है। अलग-अलग दौर से गुजरा ये शहर, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए एक अलग उदहारण पेश करता है।

तीन साल पहले , लोकेश ओहरी (मानव विज्ञानी) ने एक उद्यम `बीन दियर दून दैट` से देहरादून को एक नई दिशा दी और हर रविवार को एक हेरिटेज वॉक को प्रराम्भ किया। 8-9 संयोजक जिनमें से खुद लोकेश ओहरी, सरगम मेहरा( पीएचडी स्टूडेंट) और उदित नौटियाल(स्टूडेंट) सभी वॉक का मार्गदर्शन करते रहे और कर रहे हैं। 175 वॉक कर चुका ये समुह, कई अनकही-अनसुनी कहानियों से पर्दा हटा रहा है।

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सभी वॉक में से ये पाँच ऐसा हैं जिसका आपको हिस्सा जरूर बनना चाहिए। ताकि आप देहरादून शहर में एक नई कहानी को ढूंढ़ सके।

गुरु राम राय वॉक

देहरादून शहर का जुड़ाव रहा है ‘डेरे’ से, जो 7वें सिख गुरु के बेटे, गुरु राम राय ने स्थापित किया था। आज यह गुरु राम राय दरबार के नाम से जाना जाता है। अचंभे की बात यह है कि देहरादून के केन्द्र में होने के कारण, ये गंगा और यमुना से सामान दूरी पर है। यहां आकर आपको मुगल आर्किटेक्चर की एक अनोखी झलक देखने को मिलेगी। दीवारें प्रसिद्ध गढ़वाल स्कूल पेंटिंग के भित्ति चित्र से अलंकृत होने के साथ-साथ सुर्खी प्लास्टर और लाखोरी ईंट से बनी ये प्रसिद्ध इमारत, इतिहास को आपके सामने जिंदा कर देगी।

कोलोनियल हेरिटेज वॉक

दून घाटी केबहुमूल्य औपनिवेशिक विरासत को बताने वाली ये वॉक, आपको इतिहास का एक नया पृष्ठ पढ़ाती है, साथ ही साथ घाटी, वानिकी अध्ययन  के महत्व को भी दर्शाती है। यह वॉक पूरे एशिया में बना पहला वानिकी विद्यालय `ईस्टर्न फॉरेस्ट्री रेंजर्स कॉलेज` से आपको रूबरू करवाती है। ये कॉलेज, जोभारत के पहले वानिकी इंस्पेक्टर जनरल डॉक्टर डीएट्रिच ब्रांड्स से प्रारंभ हुआ था। आज भारतीय वन सेवा के लिए अधिकरियों का चयन करता है। ईएसएस लॉ हॉल से गुजरते हुए आपको फ्रेडरिक ई विल्सन, जो की हर्सिल के राजा थे (जिन्हें गांव के लोग हुलसिंग कहा करते थे), से भी अवगत कराती है।

खलंगा बैटल वॉक

बैटल ऑफ नालापानी से मशहूर खलंगा युद्ध , ऐतिहासिक तौर पर एक महत्वपूर्ण घटना रही है। एंग्लो-नेपाली युद्ध जो की गोरखा और अंग्रेजों के बीच हुई थी, जिसके कारण ही अंग्रेज पूरे उत्तर भारत पर राज कर पाए थे। इस वॉक की शुरूआत होती है जनरल गिलेस्पी शहीद स्मारक से। ये युद्ध गवाही है मुट्ठी भर गोरखा की बहादुरी का , जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपना लोहा साबित किया। ये वॉक पर चलते-चलते आपको एहसास होगा मरते हुए ब्रिटिश अधिकरियों का साथ ही साथ जाबाज़ गोरखा लोगों का। चिल्लाते-चीखते लोगों का और ध्वस्त हो चुके खलंगा किले का। जो आपको रोमांचित करने के लिए काफी है।

देहरा फूड वॉक

देहरादून अपने ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ अपने खान-पान के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। ये वॉक आपको ले चलेगी देहरादून के गलियारों में। कुमार स्वीट से लेकर देहरादून की चाट और पलटन बाज़ार के बेकरी बिस्कुट की दुकान तक। ये सारा अनुभव आपके मुँह में पानी लाने के लिए काफी है। पलटन बाज़ार की गलियों से निकलते हुए आप यहाँ शॉपिंग और मुग़ल इमारतों का लुफ्त उठा सकते हैं।

देहरा जियोलॉजी वॉक

ये वॉक आपको 20वीं शताब्दी में बने कैनाल के बारे में बताती है। ये सभी पांच कैनाल उस वक़्त देहरादून में खेती और यहां के जन जीवन के लिए महत्वपूर्ण श्रोत हुआ करते थे। भले ही आज यह सारी कनाल ढ़क चुकी है और अब शहर के मल-मूत्र को ले जाने का काम करती है। देहरादून टेकटोनिक प्लेट्स पर स्थित  होने के कारण यह भूकंप ग्रस्त जगह बन जाती है इसलिए ये वॉक लोगों को देहरादून के रेड जोन के बारे में भी अवगत कराता है।

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