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नवाचारी अधिकारी: अधिशासी निदेशक की कड़ी मेहनत और नवाचार ने बदली शुगर मिल की तस्वीर
- न्यूज़
- Thursday | 17th October, 2024
अधिशासी निदेशक के प्रयासों से ही अब गन्ना किसानों को पूरी रात लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ता।
इस बार तो उन्हें पेराई सत्र चलने का आभास तक नहीं हुआ और पूरे सीजन अपनी सहूलियत के हिसाब से मिल को गन्ना उपलब्ध कराते रहे।
यही नहीं, अब किसानों को भुगतान प्राप्त करने के लिए भी मिल के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। किसानों के साथ ही मजदूर, ट्रांसपोर्टर और गन्ना समितियों के कमीशन का भी पेराई सत्र में ही भुगतान कर अधिशासी निदेशक ने एक नई लकीर खींच दी है।
जो मिल पहले अपने स्तर से मात्र 40 प्रतिशत गन्ने का भुगतान ही किसानों को कर पाती थी, उसने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 45 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 55 प्रतिशत का भुगतान किया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिल प्रबंधन ने अपने स्तर पर 45.60 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया।
अधिशासी निदेशक ने कर्मचारी व किसानों के बीच मिल के जर्जर होने और अधिक पेराई न कर पाने के मिथक को तोड़ने का भी काम किया है।
इसी का नतीजा है कि आज किसान और श्रमिक उनके मुरीद हैं। 15 वर्ष बाद हुई 31 लाख क्विंटल से अधिक गन्ने की पेराई शुगर मिल ने वित्तीय वर्ष 2006-07 में सर्वाधिक 35.27 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करते हुए 3.18 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया था।
तब एक क्विंटल गन्ने से 8.81 किग्रा चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि शीरे का उत्पादन 1.74 लाख लीटर और बेगास का उत्पादन 11.80 लाख क्विंटल था। दिनेश प्रताप सिंह के कार्यभार संभालने के बाद मिल ने 15 वर्ष बाद 31.29 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर 3.13 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया।
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