गंगोत्री में भी गंगा में गिर रहा सीवर, NGT ने राज्य के मुख्य सचिव को दिए जांच के निर्देश

अपेक्षा की गई है कि राज्य की अगली रिपोर्ट में समयबद्ध तरीके से की जाने वाली कार्रवाई को स्पष्ट किया जा सकेगा।

प्रकरण में अगली अब 13 फरवरी को की जाएगी। 53 में से 50 एसटीपी क्रियाशील, 48 की क्षमता कमएनजीटी ने एसटीपी के मानदंडों और कार्यक्षमता के अनुपालन के बारे में सीपीसीबी की रिपोर्ट पर भी ध्यान दिया और कहा कि 53 चालू एसटीपी में से केवल 50 कार्यात्मक थे, जबकि 48 की क्षमता कम है।

यह बायलाजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) हटाने की पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। पीठ ने सीपीसीबी रिपोर्ट के साथ राज्य की रिपोर्ट की तुलना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की नवीनतम रिपोर्ट में किए गए खुलासे संदिग्ध हैं।

इसलिए मुख्य सचिव से मामले की उचित जांच करने के निर्देश जारी किए जाते हैं। एसटीपी में क्षमता उपयोग और डिजाइन क्षमता में असंतुलनएनजीटी ने देहरादून, उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली के साथ ही हरिद्वार और टिहरी के एसटीपी का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें शोधन क्षमता में असमानता है।

कहीं क्षमता से कम सीवर शोधित किया जा रहा है और कहीं क्षमता से अधिक सीवर पहुंच रहा है।

हालांकि, सीवर के बैकफ्लो आदि का रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है। इसे भी पढे़ं: ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने के लिए जिलों से मांगे गए प्रस्ताव, लोक निर्माण विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र ।

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