अल्मोड़ा बस हादसे से उत्‍तराखंड सरकार ने लिया सब‍क, अब तय होगी व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा

अल्मोड़ा के रोडवेज कार्यशाला में फिटनेस के लिए खड़ी रोडवेज बसें।

जागरण इस निर्णय के विरुद्ध ट्रांसपोर्टर उच्च न्यायालय चले गए और सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने 30 जून-2014 को राज्य परिवहन प्राधिकरण के आयु-सीमा निर्धारित करने के आदेश को निरस्त कर दिया।

फिर सरकार ने उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की, मगर उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी-2017 को यह याचिका खारिज कर दी।

राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन वहां से भी 26 नवंबर-2018 को याचिका निरस्त हो गई। ऐसे में व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा का मामला समाप्त हो गया और वह परिवहन विभाग से होने वाली फिटनेस के आधार पर लगातार संचालित होने लगे, चाहे वाहन आयु में कितना भी पुराना क्यों न हो।

हालांकि, यह नियम उत्तराखंड परिवहन निगम पर लागू नहीं हुए।इसे भी पढ़ें- फ्री इलाज के बावजूद एम्स ऋषिकेश पर घायलों के परिवार से दवाई व जरूरी सामान मंगाने का आरोप, DM सख्त परिवहन निगम में पर्वतीय मार्गों पर बसों की वर्तमान अधिकतम आयु-सीमा सात वर्ष और मैदानी मार्गों पर आठ वर्ष का नियम अस्तित्व में है।

वर्तमान में पूरे प्रदेश में करीब तीन लाख व्यावसायिक वाहन पंजीकृत हैं और इनमें 50 प्रतिशत से अधिक 15 वर्ष की आयु-सीमा पूरी कर चुके हैं।प्राधिकरण ने यह आयु-सीमा की थी निर्धारित वाहन पर्वतीय मार्ग मैदानी मार्ग बस 15 वर्ष 20 वर्ष ट्रक 20 वर्ष कोई सीमा नहीं टैक्सी 09 वर्ष 15 वर्ष टैंपों/विक्रम (डीजल) 07 वर्ष 15 वर्ष टैंपों/आटो (पेट्रोल) 10 वर्ष केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के मानक अखिल भारतीय परमिट वाहन आयु-सीमा बस 08 वर्ष टैक्सी 09 वर्ष 6 टायर ट्रक 12 वर्ष 10 टायर ट्रक 15 वर्ष 10 से अधिक टायर ट्रक 18 वर्ष ।

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