Darbhanga News: दरभंगा में बाढ़ की आपदा को नवाचार से अवसर में बदल रहे किसान, दूसरे राज्यों से लौटकर पेश कर रहे मिसाल

उन्होंने प्रयास और प्रयोग से बाढ़ को अवसर में बदल दिया जो अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

प्रगतिशील, नवाचारी तथा कृषि विज्ञान में पीएचडी कर चुके धीरेंद्र ने पिछले छह वर्षों से कृषि में नये प्रयोग कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। धीरेंद्र बताते हैं कि बाढ़ के दौरान खेतों में 10 से 12 फुट तक जलजमाव हो जाता था।

लंबे समय तक पानी ठहरने से खरीफ में धान की फसल नष्ट हो जाती थी।

ऐसे में खरीफ के विकल्प के लिए मखाना और सिंघाड़े की खेती उपयुक्त साबित हो रही है। वर्ष 2019 में शुरू की थी मखाने की खेती धीरेंद्र बताते हैं कि किसान परिवार से होने के कारण खेती में होने वाले नफा-नुकसान और चुनौतियों को समझा है।

2006 में इंटरमीडिएट पास करने के बाद कृषि में ही करियर बनाने का लक्ष्य तय किया।

बताते हैं कि खरीफ सीजन की फसलों को हर साल बर्बाद होते देखता था। इससे दोहरी आर्थिक क्षति होती थी।

एक पूरा सीजन खाली जाता और दूसरा धान की खेती में जो पैसा लगाते वह बाढ़ में डूब जाता था।

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