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सोच से फैली स्वच्छता: कॉलोनियों का कूड़ा बनने लगा सोना, 140 करोड़ रुपये का बजट तैयार
- न्यूज़
- Thursday | 1st August, 2024
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गीला कूड़ा उसी ड्रम में डाला जाने लगा, जो कि 45 से 60 दिन में खाद में बदल गया।
इस खाद का उपयोग घरों के गार्डन में होने लगा।
अब सूखा कूड़ा बचा, उसके निस्तारण के लिए कॉलोनियों में ही एमआरएफ सेंटर बनवाए गए, वहां नगर निगम के कर्मचारी प्रतिदिन प्लास्टिक, लोहा-टिन, गत्ता आदि की छंटाई कर कबाड़ में बेचने लगे। इन दोनों कॉलोनियों में सकारात्मक परिणाम आते देख इस मॉडल को सभी 80 वार्डों में लागू कर दिया गया है।
इसके लिए 10 एमआरएफ सेंटर बनाए गए।
होम कंपोस्टिंग के लिए जागरूक कर अन्य कॉलोनियों में 32 कम्युनिटी कंपोस्टर फैसिलिटी स्थापित करा दिए गए।
प्रत्येक वार्ड में बनाए गए स्वच्छता के ब्रांड अंबेसडर होम कंपोस्टिंग के लिए प्रेरित कर रहे हैं। शहरी कार्य मंत्रालय ने मॉडल को सराहा केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट इंटीग्रेट एंड सस्टेन परियोजना लागू की।
इसके अंतर्गत देश के 100 स्मार्ट सिटीज से प्रस्ताव मांगे गए थे।
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