UP News: हल्के में न लें गले की खिचखिच, जान भी जा सकती है...शाेध में सामने आए चौंकाने वाले रिजल्ट

विज्ञानियों के अनुसार वैसे तो यह बैक्टीरिया हवा में लगभग हर जगह रहता है, लेकिन अस्पताल के आसपास इसकी अधिकता होती है।

यहां लोगों के खांसने और छींकने के जरिए ये दूसरे शख्स के शरीर में मुंह या नाक के रास्ते इंसान या जानवर के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। एस्पिरिन या डिस्पिरिन का गरारा सबसे बेहतरडा.भोजराज सिंह बताते हैं कि बैक्टीरिया को मारने या कमजोर करने वाली दवाओं के बारे में अध्ययन किया गया।

इसमें पता चला कि कुल 38 एंटीबायोटिक व 15 हर्बल दवाएं बैक्टीरिया के विरुद्ध अलग-अलग मात्रा में असर डालती हैं।

यह भी पता चला कि स्ट्रैप्टोकोकस बैक्टीरिया को शरीर में प्रवेश करते समय ही सबसे ज्यादा आराम से निष्क्रिय किया जा सकता है। ये भी पढ़ेंः Sambhal Violence: संभल हिंसा के एक और चौंकाने वाला खुलासा, पहचान छिपाने को उपद्रवियों ने ईंट-डंडों से तोड़े थे CCTVये भी पढ़ेंः मौत के रास्ते ले गया गूगल मैप पुलिस विवेचना में बढ़ेगा Google Map के क्षेत्रीय प्रबंधक का नाम; पुल से गिरी थी कार ऐसे में खराश के शुरुआती दौर में ही एस्पिरिन या डिस्पिरिन पानी में डालकर इसका गुनगुना करें।

यह बैक्टीरिया मारने में 100 प्रतिशत तक कारगर साबित हुआ।

इसके अलावा एलोपैथी में इमीपैनम 87 प्रतिशत असरकारक रही।

हालांकि, विज्ञानी किसी भी उपचार से पहले एक बार डाक्टर से सलाह लेने की राय देते हैं। दालचीनी व अजवाइन 75 प्रतिशत तक कारगरआयुर्वेदिक पद्धति में जो 15 दवाएं बैक्टीरिया के विरुद्ध असरकारक दिखीं, उनमें दालचीनी और अजवाइन थीं।

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