हाई कोर्ट का फैसला: ग्रेनो की याचिका खारिज, 20 श्रमिकों का नियमितीकरण बरकरार

उत्तरदाताओं ने भी 1947 अधिनियम की धारा 6-एफ के तहत मामला दर्ज कराया।

ट्रिब्यूनल ने 29 मई 2018 के फैसले में प्रतिवादी-कर्मचारियों के दावे को स्वीकार कर लिया और निर्देश दिया कि उनकी सेवाओं को नियमित किया जाए।

इसके बाद 16 और श्रमिकों द्वारा दायर मामलों की सुनवाई की गई और अनुमति दी गई। औद्योगिक न्यायाधिकरण ने कहा कि उनकी सेवाएं समाप्त नहीं की जाएंगी और उन्हें सभी लाभों के साथ सेवा में माना जाएगा।

याचिकाकर्ता ने इसे रद करने के लिए 16 मुकदमे दायर किए।

उत्तरदाताओं ने 1947 के अधिनियम की धारा 6(एच)(1) के तहत कार्रवाई शुरू की।

इसके तहत उन्हें वसूली प्रमाणपत्र जारी किया गया। हाई कोर्ट में प्राधिकरण ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच स्वामी का सेवक संबंध नहीं था।

इसलिए प्रतिवादी के लिए औद्योगिक विवाद उठाना संभव नहीं था।

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