नॉर्मलाइजेशन पर ‘नरम’ हुआ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, कहा- जो जरूरी होगा वो किया जाएगा, अभ्यर्थियों से मांगा सुझाव

दूसरी ओर, छात्रों का एक वर्ग नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा है।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के प्रवक्ता प्रशांत पांडेय का कहना है कि अलग-अलग शिफ्टों में हुए प्रश्न पत्रों की कठिनाई में अंतर हो सकता है, जो नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से भी पूरी तरह संतुलित नहीं हो पाएगा।  छात्रों का मानना है कि यदि एक शिफ्ट का पेपर सरल और दूसरी शिफ्ट का कठिन हुआ, तो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया सही निष्कर्ष नहीं दे पाएगी और इससे परीक्षा परिणामों में भेदभाव हो सकता है।

विवादास्पद प्रश्नों के चलते यह मामला कानूनी उलझनों में फंस सकता है, जिससे छात्रों का समय और मेहनत दोनों प्रभावित हो सकते हैं। छात्रों के आग्रह पर स्केलिंग प्रणाली समाप्त आयोगआयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते दौर की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय हटाने का निर्णय लिया गया।

प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि स्केलिंग की वजह से मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के नंबर कम हो जाते हैं और विज्ञान विषय एवं अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते हैं।

अब वैकल्पिक विषय हट जाने से इस शिकायत का निराकरण हो गया है। परीक्षार्थी छात्रों के सुझाव पर लिए गए कई निर्णय: आयोगआयोग के प्रवक्ता ने बताया कि परीक्षाओं की शुचिता के संदर्भ में अभ्यर्थियों ने ही पुरजोर से यह बात रखी थी कि स्वयं-वित्तपोषित विद्यालय परीक्षा केंद्र नहीं होने चाहिए, साथ ही साथ परीक्षा केंद्र जिला मुख्यालय से बहुत दूर नहीं होने चाहिए।

अभ्यर्थियों की यह बात उचित थी, इसी क्रम में यह निर्णय लिया गया। एक पद के सापेक्ष में 15 गुना अभ्यर्थीआयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पहले पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष में 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु सफल घोषित किया जाता था।

सुधारों के क्रम में आयोग ने इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है, ताकि अधिक अभ्यर्थियों को लाभ हो।

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