फर्जी जज ने ठिकाने लगा दी करोड़ों की जमीन, कोर्ट से लेकर फैसले तक की कहानी पर नहीं होगा यकीन

पुलिस ने जांच में पाया कि मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने 2002 में एलएलबी की डिग्री और नई दिल्ली में अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से बी.कॉम की डिग्री प्राप्त की, जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।

यानी ये मामला भी फर्जी निकला। गुजरात बार काउंसिल ने अंतर्राष्ट्रीय बार काउंसिल में उनकी सदस्यता के दावे को खारिज कर दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि ऐसी सदस्यता किसी को भी भारतीय अदालतों में कानून का अभ्यास करने के लिए अधिकृत नहीं करती है।गांधीनगर जिलाधिकारी ने आरोपित वकील के फर्जी कोर्ट रूम को सील कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद उसने इसे फिर शुरू कर दिया।

2019 में क्रिश्चियन ने पालडी क्षेत्र में एक भूखंड से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम जोड़ने का प्रयास करते हुए सरकारी भूमि के स्वामित्व का दावा करने वाले एक ग्राहक के पक्ष में एक आदेश जारी किया। बिना किसी आधिकारिक मंजूरी के क्रिश्चियन ने अपने मुवक्किल को आश्वस्त किया कि सरकार ने उन्हें आधिकारिक मध्यस्थ नियुक्त किया है।

धोखाधड़ी का पता तब चला जब भद्रा में सिटी सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई ने अहमदाबाद के करंज पुलिस स्टेशन में क्रिश्चियन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। एक मामला ये भीगांधीनगर के अडालज में अहमदाबाद मेहसाणा हाइवे पर स्थित हनुमान मंदिर की जमीन को भी मोरिस ने कब्जाने का प्रयास किया, लेकिन ट्रस्ट के सदस्य संतों ने राजस्व कार्यालय से पता किया तो उसके फर्जी होने का पता चला। 15 साल से चला रहा था फर्जी कोर्टसिटी सिविल कोर्ट अहमदाबाद के निर्देश पर कारंज पुलिस ने गांधीनगर के वकील मोरिस सेम्युअल क्रीश्चियन को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो पता चला कि वह गांधीनगर के सेक्टर-15 में कई वर्षों से फर्जी कोर्ट चला रहा था।

पहले वह सरकारी जमीन या विवादित जमीन की खोज करता, इसके बाद किसी व्यक्ति को तैयार कर अपनी फर्जी कोर्ट में एक याचिका लगवाकर सुनवाई करता। ऐसे खुली फर्जी जज की पोलमॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन सरकारी अधिकारी अथवा कोर्ट के समक्ष वह खुद को कोर्ट का आर्बिट्रेटर बताता था।

अहमदाबाद पालड़ी के बाबूजी छनाभाई ठाकोर की जमीन पर कब्जा करने के लिए मोरिस ने स्वयं की फर्जी कोर्ट से अपने ही पक्ष में फैसला दिया तो सिटी सिविल जज की कोर्ट ने पूछा कि यह आदेश किसने और किन दस्तावेजों के आधार पर दिया।

इसके बाद उसका फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।